महाराष्ट्र में लाडकी बाहिण योजना को लेकर पिछले दिनों उस समय जमकर बवाल हुआ जब राज्य सरकार ने योजना की राशि में से 500 रुपये की कटौती करने का ऐलान किया. अब राज्य की मंत्री अदिति तटकरे ने इसी कड़ी में एक अहम खुलासा किया है. उन्होंने बताया है कि जांच के दौरान मुख्यमंत्री लड़की बहन योजना के 2,200 से ज्यादा लाभार्थी सरकारी कर्मचारी पाए गए. शुक्रवार को उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में इस बारे में जानकारी दी.
तटकरे अपनी पोस्ट में कहा कि लाभार्थियों का वैरीफिकेशन एक रेगुलर प्रॉसेस होगी. तटकरे राज्य की महिला एवं बाल विकास मंत्री हैं. उन्होंने लिखा, 'करीब 2 लाख आवेदनों की जांच के बाद 2,289 सरकारी कर्मचारी मुख्यमंत्री लड़की बहन योजना के लाभार्थी पाए गए. इस बात का पता चलने के बाद ऐसे लाभार्थियों को योजना का लाभ नहीं दिया जा रहा है.' तटकरे ने बताया कि सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि योजना का फायदा सिर्फ योग्य लाभार्थियों को ही मिले और इसके लिए आवेदनों की जांच जारी रहेगी.
नवंबर 2024 में हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों से पहले राज्य की महायुति सरकार ने अगस्त में मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिन योजना की शुरुआत की थी. इसके तहत 21 से 65 साल की आयु वर्ग की योग्य महिलाओं को 1,500 रुपये की आर्थिक मदद हर महीने मिलती है. हालांकि, सरकारी कर्मचारी इस योजना के पात्र नहीं हैं. महायुति नेताओं ने विधानसभा चुनावों में सत्तारूढ़ गठबंधन की शानदार सफलता का श्रेय इस योजना को ही दिया है. लेकिन सरकार ने यह भी स्वीकार किया है कि इसने राज्य के खजाने पर भारी बोझ डाला है.
कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे ने जनवरी में कहा था कि लाडकी बहिन योजना राज्य के खजाने पर बोझ पैदा कर रही है. इससे कृषि ऋण माफी योजना को लागू करने पर असर पड़ रहा है. इस योजना के तहत पात्र महिलाओं को 1500 रुपये का मासिक भत्ता दिया जाता है. अगस्त 2024 में तत्कालीन मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की सरकार ने इस योजना को शुरू किया था. माना गया था कि मध्य प्रदेश की लाडली बहन योजना की तर्ज पर शुरू की गई लड़की बहिन योजना से सालाना करीब 46,000 करोड़ रुपये खर्च होने की संभावना है.
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