फसलों पर एमएसपी गारंटी कानून समेत कई मांगों को लेकर किसान करीब 27 दिन से आंदोलन कर रहे हैं और आज किसानों ने देशव्यापी स्तर पर ट्रेनों के चक्का जाम का ऐलान भी किया है. इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एमएसपी पर कहा कि किसानों को आज पहले की तुलना में कई गुना बढ़ी हुई MSP दी जा रही है. गन्ना किसानों के लिए भी इस साल लाभकारी मूल्य में 8 फीसदी की बढ़ोत्तरी की गई है. उन्होंने कहा कि ये भाजपा की सरकार है जिसने गन्ना किसानों का हजारों करोड़ का बकाया खत्म कराया है.
एएनआई के अनुसार उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ में जनसभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि किसानों को आज पहले की तुलना में कई गुना बढ़ी हुई MSP दी जा रही है. गन्ना किसानों के लिए भी इस साल लाभकारी मूल्य में 8% की वृद्धि की गई है. अब गन्ने का लाभकारी मूल्य 315 रुपये से बढ़कर 340 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है.
पीएम मोदी ने कहा कि आप लोगों को याद है ना कि कैसे इसी उत्तर प्रदेश में सरकार चलाने वालों ने गन्ना किसानों को रुलाया था. उनका पैसा ही तरसा-तरसा कर दिया जाता था या मिलता ही नहीं था. ये भाजपा की सरकार है जिसने गन्ना किसानों का हजारों करोड़ का बकाया खत्म कराया है. आज गन्ना किसानों को सही समय पर गन्ने का मूल्य मिल रहा है.
न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP एक तरह से फसल बिक्री के लिए गारंटी कीमत है. एमएसपी के जरिए फसल बुवाई के वक्त कई मानकों के आधार पर तय किया जाता है कि कटाई के बाद फसल किस कीमत पर बाजार में बिकेगी. एमएसपी यह पक्का करती है कि किसान को उसकी फसल का दाम तय कीमत से कम नहीं मिलेगा, चाहे बाजार में फसल का भाव गिर गया हो. एमएसपी का उद्देश्य किसान को बाजार में फसल की कीमत के उतार-चढ़ाव से होने वाले नुकसान से बचाया जा सके.
कृषि मंत्रालय खरीफ, रबी सीजन समेत अन्य सीजन की फसलों के साथ ही कमर्शियल फसलों पर एमएसपी लागू करता है. वर्तमान में देश के किसानों से खरीदी जाने वाली करीब 23 फसलों पर एमएसपी लागू की गई है. गेहूं, धान, चना, मूंगफली, बाजरा, ज्वार, मक्का, सोयाबीन, मूंग, मसूर, तिल और कपास जैसी फसलों पर एमएसपी लागू है. बता दें कि रबी मार्केटिंग सीजन 2024-25 के लिए गेहूं का एमएसपी दाम 2275 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है और सरसों का दाम 5650 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है.
13 फरवरी से आंदोलन कर रहे किसानों की प्रमुख मांग सभी फसलों पर एमएसपी की गारंटी देने के लिए कानून बनाने की है. बीती 18 फरवरी को किसान नेताओं के साथ चौथे दौर की वार्ता के दौरान, तीन केंद्रीय मंत्रियों के एक पैनल ने प्रस्ताव दिया था कि सरकारी एजेंसियां किसानों के साथ समझौता करने के बाद पांच साल तक एमएसपी पर दालें, मक्का और कपास खरीदेंगी. लेकिन, किसानों ने इस प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया है. किसान स्वामीनाथन आयोग द्वारा अनुशंसित "सी2 प्लस 50 प्रतिशत" फॉर्मूले के तहत सभी फसलों पर एमएसपी की मांग पर अड़े हैं.