शंभू बॉर्डर खुलते ही ट्रैक्टर-ट्रॉली के साथ दिल्ली कूच करेंगे किसान, आगे का पूरा प्लान तैयार

शंभू बॉर्डर खुलते ही ट्रैक्टर-ट्रॉली के साथ दिल्ली कूच करेंगे किसान, आगे का पूरा प्लान तैयार

सुप्रीम कोर्ट की तरफ से 12 अगस्‍त को पंजाब और हरियाणा राज्य के पुलिस प्रमुखों को इंटर स्‍टेट बॉर्डर पर सड़कों को आंशिक तौर पर फिर से खोलने के लिए एक योजना तैयार करने के लिए कहा गया है. अब इस आदेश के एक दिन बाद ही किसान नेताओं ने इसके आगे की रणनीति बना ली है. किसान नेताओं ने जोर देकर कहा है कि वो सड़कें खुलते ही दिल्ली की घेराबंदी करने के लिए अपना 'ट्रैक्टर-ट्रॉली-दिल्ली चलो' मार्च फिर से शुरू करेंगे. 

Farmers protestFarmers protest
क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Aug 14, 2024,
  • Updated Aug 14, 2024, 8:00 AM IST

सुप्रीम कोर्ट की तरफ से 12 अगस्‍त को पंजाब और हरियाणा राज्य के पुलिस प्रमुखों को इंटर स्‍टेट बॉर्डर पर सड़कों को आंशिक तौर पर फिर से खोलने के लिए एक योजना तैयार करने के लिए कहा गया है. अब इस आदेश के एक दिन बाद ही किसान नेताओं ने इसके आगे की रणनीति बना ली है. किसान नेताओं ने जोर देकर कहा है कि वो सड़कें खुलते ही दिल्ली की घेराबंदी करने के लिए अपना 'ट्रैक्टर-ट्रॉली-दिल्ली चलो' मार्च फिर से शुरू करेंगे. किसान पिछले छह महीने से शंभू-खनौरी बॉर्डर पर मौजूद हैं.   

दिल्‍ली कूच को तैयार किसान  

अखबार द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार किसान शंभू बॉर्डर पर मुस्‍तैद हैं और आंशिक तौर पर इसके खुलते हर दिल्‍ली कूच करने को तैयार हैं. किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) और संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के बैनर तले किसान 13 फरवरी से हरियाणा में प्रवेश करने से रोके जाने के बाद शंभू-अंबाला और खनौरी-जींद पर डेरा डाले हुए हैं. ये दो किसान संगठन आंदोलन की अगुआई कर रहे हैं. किसानों ने पहले अपनी मांगों को पूरा करने के लिए दबाव बनाने के लिए ‘दिल्ली चलो’ मार्च की अपील की थी. प्रदर्शनकारी किसानों की मांगों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP)पर उनकी फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी और कृषि कर्ज माफी प्रमुख हैं. 

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बॉर्डर खुलते ही शुरू होगा मार्च 

केएमएम के संयोजक सरवन सिंह पंढेर के हवाले से अखबार ने लिखा है, 'हम सड़कें खोलने की योजना के बारे में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का स्वागत करते हैं. सड़कें खुल जाने के बाद हम अपना 'ट्रैक्टर-ट्रॉली दिल्ली चलो' मार्च फिर से शुरू करेंगे. हम सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों और राज्य सरकारों की कार्रवाई का इंतजार कर रहे हैं. हम अपने मार्च को फिर से शुरू करने की तारीख की घोषणा करने के लिए अगले कुछ दिनों में एक मीटिंग करेंगे. जैसे ही सड़कें खुलेंगी, हम मार्च को फिर से शुरू करने की तैयारी शुरू कर देंगे.' 

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अभी तक नहीं बना एमएसपी पर कानून 

लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार और किसान नेताओं के बीच चार राउंड की मीटिंग्‍स हुई थीं. लेकिन इसका कोई ठोस नतीजा नहीं निकला. किसान सड़कों पर हैं और शिकायत कर रहे हैं कि उनके लिए चिंता का मुख्य विषय यह है कि अभी भी एमएसपी पर कोई कानून नहीं बनाया गया है. साथ ही केंद्र सरकार बार-बार अपील के बावजूद उनकी बाकी मांगों पर आंखें मूंद रही है. एमएसपी वह कीमत है जिस पर सरकार किसानों से फसल खरीदने का वादा करती है. 22 फसलों के लिए एमएसपी हैं, जिनमें मुख्य तौर पर अनाज, दलहन और तिलहन, धान और खोपरा शामिल हैं. 

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सरकार पर वादा खिलाफी का आरोप 

कुछ रिसर्चर्स के अनुसार देश में किसानों का एक छोटा हिस्सा ही एमएसपी से फायदा उठा रहा है. किसानों का आरोप है कि केंद्र सरकार ने वापस लिए कृषि कानूनों पर पहले के आंदोलन के दौरान उनकी मांगों पर विचार करने का वादा किया था. लेकिन वह अपने वादे पर पीछे हट गई और अब धीमी गति से काम कर रही है. आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 12 अगस्त को पड़ोसी पंजाब और हरियाणा से दोनों राज्यों के बीच शंभू में लंबे समय से बंद पड़े हाइवे को चरणबद्ध तरीके से खोलने की दिशा में मिलकर काम करने का अनुरोध किया है. 

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