तमिलनाडु में खेती-बाड़ी में आई कमी, फसल से ज्‍यादा पशुपालन को तरजीह दे रहे किसान

तमिलनाडु में खेती-बाड़ी में आई कमी, फसल से ज्‍यादा पशुपालन को तरजीह दे रहे किसान

फसलों का योगदान औसतन 40 प्रतिशत है, जिसमें पशुधन 50 फीसदी से ज्‍यादा के साथ सबसे आगे है. पिछले साल फसलों का आंकड़ा 39 प्रतिशत था. फसलों के लिए साल 2021-22 में वृद्धि दर 9.5 प्रतिशत थी. उसके बाद अगले साल 3.3 फीसदी और 2023-24 में 4.2 फीसदी थी. 

तमिलनाडु में खेती से पीछे हटते किसान! तमिलनाडु में खेती से पीछे हटते किसान!
क‍िसान तक
  • Noida ,
  • May 20, 2025,
  • Updated May 20, 2025, 3:34 PM IST

तमिलनाडु में खेती और इससे जुड़े कामों में 2024-25 में नकारात्‍मक वृद्धि देखी गई है. यह पिछले आठ सालों में पहला मौका है जब इस तरह से कृषि सेक्‍टर में निगेटिव ग्रोथ हुई है. इस नई जानकारी से कृषि विशेषज्ञ चिंता में पड़ गए हैं. पिछले साल भी इस तरफ कोई खास वृद्धि नहीं हुई थी और विकास दर -0.09 फीसदी रिकॉर्ड हुई है. तमिलनाडु के लिए आर्थिक गतिविधि के अनुमान के लिए जो आंकडें जारी किए गए हैं, उनकी तरफ से राज्‍य में कृषि की स्थिति को लेकर यह जानकारी मिली है. 

क्‍या कहते हैं आंकड़े 

ये आंकड़े दो महीने पहले केंद्रीय सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की वेबसाइट पर जारी किए गए थे. साल 2015-16 में राज्‍य में कृषि की विकास दर यानी ग्रोथ रेट 2.6 फीसदी थी. जबकि साल 2016-17 में यह -1.612 फीसदी थी. इसी तरह से 2017-18 में इसमें एतिहासिक वृद्धि देखी गई और यह 12.07 फीसदी पर पहुंच गई. जबकि 2018-19 में 6.5 प्रतिशत, 2019-20 में 7.6 फीसदी, 2020-21 में 4.5 फीसदी, 2021-22 में 5.6 फीसदी, 2022-23 में 2.5 फीसदी और 2023-24 में 3.9 प्रतिशत ग्रोथ रेट दर्ज की गई थी. 

प्राकृतिक आपदा से मुसीबत 

अखबार हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार कृषि और इससे जुड़े कामों में निगेटिव वृद्धि का पिछला मौका 2016-17 के दौरान था. उस समय राज्य ने माइनस 1.61 फीसदी दर्ज किया था. उस समय यह गिरावट तमिलनाडु दिसंबर 2016 में हुए सूखे और वरदा चक्रवात से बुरी तरह प्रभावित हुआ था. राज्य कृषि विभाग के 2025-26 के दस्तावेज में कहा गया है कि जनवरी 2025 में 'बेमौसम भारी बारिश', दक्षिण-पश्चिम मानसून (जून-सितंबर 2024), गर्मियों की बारिश और दिसंबर में पूर्वोत्तर मानसून (अक्टूबर-दिसंबर 2024) के दौरान फेंगल चक्रवात जैसी प्राकृतिक घटनाएं हुई थीं. 

पशुधन का आंकड़ा 50 फीसदी 

इन प्राकृतिक आपदाओं के कारण 9.10 लाख एकड़ क्षेत्र में फसल को बड़ा नुकसान हुआ है. राज्य सरकार ने 6.16 लाख किसानों को इनपुट सब्सिडी देने के लिए 545.56 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की थी. कृषि और इससे जुड़ी गतिविधियों में फसलें, पशुधन, फॉरेस्‍ट्री और लॉगिंग के साथ मछली पकड़ने और एक्‍वाकल्‍चर शामिल हैं. इनके आंकड़ों की जांच से पता चलता है कि पिछले साल फसलों के संबंध में काफी गिरावट आई थी जिसमें -5.93 फीसदी की वृद्धि दर देखी गई थी. इसकी वजह से कुल विकास के आंकड़ों पर असर पड़ा है. फसलों का योगदान औसतन 40 प्रतिशत है, जिसमें पशुधन 50 फीसदी से ज्‍यादा के साथ सबसे आगे है. पिछले साल फसलों का आंकड़ा 39 प्रतिशत था. फसलों के लिए साल 2021-22 में वृद्धि दर 9.5 प्रतिशत थी. उसके बाद अगले साल 3.3 फीसदी और 2023-24 में 4.2 फीसदी थी. 

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