महाराष्ट्र के कृषि मंत्री ने माणिकराव कोकाटे फसल बीमा को लेकर एक बड़ा बयान दिया है. उन्होंने बताया है कि किसानों की सुरक्षा और फसल बीमा प्रणाली को और ज्यादा पारदर्शी बनाने के लिए सरकार ने एक बड़ा फैसला किया है. कोकाटे ने ऐलान किया है कि किसी भी बीमा कंपनी को गलत काम करने का दोषी पाए जाने पर सरकार ब्लैक लिस्ट कर देगी. उन्होंने यह बात राज्य की नई फसल बीमा योजना पर चर्चा के दौरान कही. उस समय वह विधान परिषद में जवाब दे रहे थे. कोकाटे ने सदन को भरोसा दिलाया है कि सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि किसानों को वास्तविक फसल नतीजों के आधार पर सही और गारंटी मुआवजा मिले.
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार यह मुद्दा तब उठा जब सदस्य अमोल मिटकरी ने पुरानी फसल बीमा पॉलिसीज के तहत बीमा कंपनियों की तरफ से उठाए जा रहे बहुत ज्यादा मुनाफे को लेकर चिंता जताई. विपक्ष के नेता अंबादास दानवे और सदस्य सदाभु खोत और सतेज पाटिल ने भी इस चर्चा में हिस्सा लिया. उन्होंने किसानों के लिए मजबूत सुरक्षा उपायों पर जोर दिया. मंत्री कोकाटे ने कहा कि नुकसान के सर्वे के दौरान स्थानीय प्रतिनिधियों को शामिल किया जा रहा है. साथ ही प्रक्रिया में सुधार के लिए उनके सुझावों को गंभीरता से लिया जा रहा है.
नई योजना का एक मुख्य आकर्षण फसल कटाई प्रयोगों पर इसका ध्यान केंद्रित करना है. सरकार फसल कटाई प्रयोगों को इस योजना का मूल बनाने की तैयारी की रही है.इसका मतलब है कि मुआवजा सीधे वास्तविक उपज से जुड़ा होगा. अगर फसल अपेक्षित उत्पादन से कम होती है तो किसानों को बिना देरी के उचित मुआवजा मिलेगा. राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष के माध्यम से अतिरिक्त सहायता भी प्रदान की जाएगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी किसान वंचित न रहे.
सदस्य पाटिल के एक और सवाल का जवाब देते हुए कोकाटे ने साफ किया कि फसल बीमा योजना कृषि के लिए पूंजी निवेश योजनाओं से पूरी तरह अलग है. उन्होंने बताया कि पहले सरकार फसल बीमा कंपनियों पर सालाना 5,000 से 6,000 करोड़ रुपये खर्च कर रही थी. अब यह खर्च घटकर 760 करोड़ रुपये रह गया है जिससे करीब 5,000 करोड़ रुपये बच गए हैं. इस बची हुई राशि को मल्चिंग, ड्रिप सिंचाई प्रणाली, भंडारण सुविधाओं और बाकी बुनियादी ढांचे में निवेश के माध्यम से कृषि को मजबूत करने के लिए किया जाएगा.
मंत्री ने कहा कि अगले पांच सालों में राज्य का लक्ष्य खेती के लिए पूंजीगत व्यय में करीब 25,000 करोड़ रुपये का निवेश करना है. सरकार के आश्वासन से किसानों में नई उम्मीद जगी है. ये वो किसान हैं जो लंबे समय से दोषी कंपनियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई और फसल नुकसान के लिए ज्यादा विश्वसनीय मुआवजे की मांग कर रहे हैं.
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