पंजाब में ज़मीन पूलिंग नीति का मामला लंबे समय से चल रहा है. ऐसे में अब शिरोमणि अकाली दल (SAD) ने पंजाब सरकार की ज़मीन पूलिंग नीति के खिलाफ बड़ा मोर्चा खोल दिया है. पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने इस नीति को किसानों के साथ "धोखा" बताते हुए कहा कि आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार जबरदस्ती किसानों की 40,000 एकड़ ज़मीन "मुट्ठी भर पैसे" में छीनना चाहती है.
पंजाब सरकार द्वारा हाल ही में मंजूर की गई इस नीति के तहत यदि कोई किसान अपनी एक एकड़ ज़मीन देता है, तो उसे बदले में 1,000 वर्ग गज का रिहायशी प्लॉट और 200 वर्ग गज का कमर्शियल प्लॉट विकसित इलाके में मिलेगा. सरकार का दावा है कि यह नीति पारदर्शी और योजनाबद्ध शहरी विकास को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई है.
सुखबीर बादल का कहना है कि इस नीति के तहत पंजाब के 158 गांवों की 40,000 एकड़ ज़मीन जबरदस्ती ली जा रही है. उन्होंने इसे "जमीन हड़पने की साजिश" बताया और कहा कि ये नीति किसानों की जमीन को कौड़ियों के भाव छीनने की योजना है. उन्होंने आरोप लगाया कि आम आदमी पार्टी की दिल्ली नेतृत्व इस ज़मीन से पैसा जुटाकर पार्टी को फायदा पहुंचाना चाहती है.
बादल ने मुख्यमंत्री भगवंत मान पर सीधा निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने किसानों और गरीबों के हितों की रक्षा करने में नाकामी दिखाई है. उन्होंने ये भी आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ने राज्य की सभी भूमि विकास अथॉरिटीज़ की अध्यक्षता छोड़ दी है और यह जिम्मेदारी मुख्य सचिव को सौंप दी गई है, जिससे बाहरी लोगों को फायदा हो रहा है.
बादल ने कहा कि अकाली सरकार के समय में जब भी ज़मीन ली गई, तो किसानों को उचित मुआवज़ा मिला. उदाहरण के तौर पर मोहाली एयरपोर्ट के लिए किसानों को 2 करोड़ रुपये प्रति एकड़ तक का मुआवज़ा दिया गया था.
बादल ने कहा कि सरकार विकास के नाम पर केवल बहाना बना रही है. उन्होंने बताया कि 2021 में मोहाली में ली गई 2,500 एकड़ ज़मीन पर आज तक कोई सड़क या बिजली का काम नहीं हुआ है. इसके बावजूद अब सरकार और 3,535 एकड़ ज़मीन लेना चाहती है.
अकाली दल ने ऐलान किया है कि वह इस जमीन पूलिंग नीति के खिलाफ पूरे पंजाब में प्रदर्शन करेगा. जिन शहरों में प्रदर्शन होंगे उनमें शामिल हैं:
लुधियाना, मोहाली, अमृतसर, पठानकोट, जालंधर, पटियाला, बठिंडा, संगरूर, मोगा, नवांशहर, फिरोजपुर, बरनाला, होशियारपुर, कपूरथला, बटाला, फगवाड़ा, तरनतारण, सुल्तानपुर लोधी, नकोदर और गुरदासपुर.
बादल ने किसानों से अपील की कि वे AAP सरकार के "झांसे" में न आएं और इस जमीन अधिग्रहण को पूरी तरह से खारिज करें. उन्होंने कहा कि SAD किसी भी कीमत पर यह ज़मीन जबरन लेने नहीं देगा.
जहां पंजाब सरकार इस नीति को विकास के लिए जरूरी मान रही है, वहीं अकाली दल इसे किसानों की ज़मीन हड़पने की साजिश बता रहा है. आने वाले समय में इस मुद्दे पर पंजाब की राजनीति और ज़मीन की लड़ाई और तेज़ हो सकती है.