भारत और ईरान के बीच सोमवार को रणनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण चाबहार बंदरगाह के एक टर्मिनल को शुरू करने के लिए 10 साल का कॉन्ट्रैक्ट साइन किया है. जहां यह समझौता भारत के लिए मिडिल ईस्ट में अपनी जमीन को मजबूत करने में मददगार होगा तो वहीं देश के कृषि सेक्टर और उत्पादों को भी फायदा पहुंचाएगा. यह वही चाबहार बंदरगाह है जिसके रास्ते से भारत अफगानिस्तान को कई मिलियन टन गेंहू का निर्यात करता है. कॉन्ट्रैक्ट पर साइन करना सेंट्रल एशिया और उससे आगे के लिए भारत की रणनीतिक और आर्थिक दृष्टि का हिस्सा है. हालांकि, इस परियोजना को हमेशा कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है.
समझौता होने तक भारत, चाबहार बंदरगाह के रास्ते अफगानिस्तान को कुल 2.5 मिलियन टन गेहूं और 2000 टन दालें भेज चुका है. साल 2021 में भी भारत ने टिड्डियों के हमलों से बचने के लिए बंदरगाह के रास्ते ईरान को 40000 लीटर पर्यावरण अनुकूल कीटनाशक मैलाथियान की सप्लाई की थी. चाबहार ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में एक गहरे पानी में मौजूद बंदरगाह है. यह ईरानी बंदरगाह भारत के सबसे करीब है और खुले समुद्र में स्थित है. साथ ही यह बड़े कार्गो जहाजों के लिए आसान और सुरक्षित पहुंच मुहैया कराता है. भारत के लिए चाबहार का रणनीतिक और आर्थिक महत्व बहुत ज्यादा है क्योंकि यह अफगानिस्तान तक पहुंचने का मार्ग उपलब्ध कराता है.
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न सिर्फ अफगानिस्तान बल्कि भारत अपने जिन कृषि उत्पादों को ईरान भेजता है, उन्हें भी इस बंदरगाह के रास्ते आसानी से भेज सकता है. एक प्रमुख पड़ोसी देश ईरान को भारत ने अक्टूबर 2023 में रिकॉर्ड चावल निर्यात किया था. अक्टूबर 2023 में जहां चावल का निर्यात 4.25 मिलियन डॉलर था तो नवंबर 2023 में यह बढ़कर 60 मिलियन डॉलर हो गया है.
यह वृद्धि सीधे तौर पर 1314 फीसदी की थी जो कि अपने आप में एक रिकॉर्ड था. जबकि ईरान को ऑयल मील यानी ऐसे पदार्थ जो खाना बनाने में प्रयोग होते हैं या फिर कभी-कभी कीटनाशकों के तौर पर आजमाये जाते हैं. इसका निर्यात अक्टूबर 2023 में 1.22 मिलियन डॉलर से बढ़कर नवंबर में 46.52 मिलियन डॉलर हो गया यानी इसमें भी 3,713 फीसदी का इजाफा हुआ.
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भारत और ईरान अच्छे व्यापारिक साझेदार हैं. भारत ईरान को केला, चावल, हल्दी, नारियल और ग्रेनाइट निर्यात करता है. वहीं ईरान से भारत को सेब, कीवी, खजूर, संगमरमर जैसी चीजों का निर्यात किया जाता है. चाबहार बंदरगाह के संचालन से भारत, ईरान और अफगानिस्तान के बीच एक मजबूत बिजनेस ट्रायगंल बनेगा. विशेषज्ञों की मानें तो न केवल कृषि उत्पादों में बल्कि कई और चीजों के आयात-निर्यात में भारत, पाकिस्तान को दरकिनार कर मिडिल ईस्ट में एक मजबूत स्थिति में आ सकेगा.