उत्तर प्रदेश में 69000 शिक्षक भर्ती में आरक्षण का गोलमाल करने का मामला अभी थमा भी नहीं था कि केंद्र में कृषि क्षेत्र की भर्तियों से जुड़ा एक विवाद सामने आ गया है. यह मामला कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग द्वारा 𝟑𝟔𝟖 पदों के लिए निकाली गई भर्ती से संबंधित है, जिसमें आरक्षण नियमों को ताक पर रखने के आरोप लगाए जा रहे हैं. यह 2023 में निकले विज्ञापन और उस पर हुई भर्तियों का मामला है. उत्तर प्रदेश की नगीना सीट से सांसद चंद्रशेखर आजाद और बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने इस मामले को अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर शेयर किया है. जिसे समाजवादी पार्टी के प्रमुख और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने हवा दे दी है. इस मुद्दे को उठाने वाले दोनों नेताओं को अखिलेश यादव का साथ मिला है.
अखिलेश यादव ने एक्स पर कहा "कृषि-वैज्ञानिक’ चयन में आरक्षण के अधिकार को छीननेवाला विज्ञापन भाजपा सरकार आज वापस लेगी या कल, ये स्पष्ट करे. भाजपाई संगी-साथी खेती-किसानी तक में अपने एजेंडे से बाज नहीं आ रहे हैं. ये किसान और कृषि दोनों के खिलाफ हैं. अवाम अहंकार के खेत खोद देती है."
सांसद चंद्रशेखर आजाद ने कहा है कि बैक डोर से लैटरल एंट्री के बाद संविधान विरोधी भाजपा सरकार का एक और आरक्षण विरोधी कारनामा. कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग द्वारा 𝟑𝟔𝟖 पदों पर विज्ञापन निकाला गया है लेकिन सभी पदों को एकल बताते हुए इन पदों में OBC/SC/ST का आरक्षण शून्य कर दिया गया. सरकारी अहंकार का आलम ये कि विज्ञापन में साफ-साफ शब्दों में लिख भी दिया है 𝐀𝐥𝐥 𝐭𝐡𝐞 𝐯𝐚𝐜𝐚𝐧𝐜𝐢𝐞𝐬 𝐚𝐫𝐞 𝐮𝐧-𝐫𝐞𝐬𝐞𝐫𝐯𝐞𝐝 (सभी रिक्तियां अनारक्षित हैं) और ये लिखकर आरक्षित वर्ग के अधिकारों पर खुलेआम डाका डाला गया.
इसे भी पढ़ें: न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कितना पैसा खर्च करती है सरकार, किसानों को कैसे मिलेगी एमएसपी गारंटी?
आजाद ने कहा कि अगर इन पदों में आरक्षण लागू किया जाता तो OBC वर्ग को 99-100 सीट और SC/ST वर्ग को तकरीबन 79-80 सीट पर आरक्षण मिलता. यानि दलित, पिछड़ें और आदिवासी समाज की 178-180 सीटों को साजिश के तहत खत्म कर दिया गया. हैरत की बात देखिए यह सब तब हो रहा है जब केंद्रीय कृषि मंत्री तथाकथित रूप से पिछड़े वर्ग से आते हैं और चुनाव के समय देश के प्रधानमंत्री OBC बन जाते हैं. सामाजिक परिवर्तन के साथियों एक बात तो साफ है कि भाजपा सरकार अपनी आरक्षण विरोधी हरकतों से बाज नहीं आने वाली इसके लिए एक बड़े जन आंदोलन की दरकार है.
चंद्रशेखर आजाद ने इसे लेकर आंदोलन की धमकी दी है. इसी कड़ी में 11 सितंबर को देश की राजधानी नई दिल्ली में सरकार के खिलाफ आजाद समाज पार्टी- काशीराम बहुजनों की ताकत दिखाने के लिए एससी-एसटी क्रीमी लेयर वर्गीकरण, लैटरल एंट्री, निजी क्षेत्र में आरक्षण जैसे तमाम जन सरोकारों से जुड़े मुद्दों पर एक बड़ा आंदोलन करेगी.
इस मामले को लेकर 'किसान तक' ने कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग (DARE) के अतिरिक्त सचिव एवं आईसीएआर के सचिव संजय गर्ग से बातचीत की. उन्होंने कहा कि जो सरकार के रूल रेगुलेशन हैं उसके हिसाब से काम होता है. कुछ पोस्ट ऐसी होती हैं जिनमें रिजर्वेशन अप्लीकेबल नहीं हैं. जिसमें अप्लीकेबल है उसमें दिया जाता है लेकिन जिन पदों पर अप्लीकेबल नहीं है उसमें नहीं दिया जाता. सारे काम नियमों के मुताबिक होते हैं.
इसे भी पढ़ें: Crop Diversification: धान-गेहूं की खेती कैसे छोड़ेंगे किसान, आखिर फसल विविधीकरण के रास्ते की बाधा क्या है?