महाराष्ट्र में फसल बीमा पिछले काफी समय से खबरों में है. अब जो खबर आ रही है वह थोड़ी परेशान करने वाली है. देश भर में मॉनसून आ चुका है और खरीफ सीजन की शुरुआत भी हो गई है लेकिन इस बीच महाराष्ट्र के किसान बड़ी चिंता में हैं. राज्य सरकार की तरफ से बीमा प्रीमियम के भुगतान में देरी के चलते किसानों को अभी तक बीमा योजना के तहत फसल नुकसान का मुआवजानहीं मिल सका है. यह बात खुद राज्य के कृषि मंत्री ने स्वीकार की है.
कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे के अनुसार, राज्य ने अभी तक फसल बीमा प्रीमियम के तौर पर 1,028.97 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया है. इसके कारण बीमा कंपनियों ने मुआवजा भुगतान रोक दिया है. इसका नतीजा है कि किसानों को 2023-24 के खरीफ और रबी सीजन के लिए राहत नहीं मिल पाई है.
कोकाटे ने बताया कि 2016-17 और 2023-24 के बीच, फसल बीमा प्रीमियम के तौर पर कुल 43,201 करोड़ रुपये इकट्ठा किए गए थे. इसमें से सिर्फ 32,629.73 करोड़ रुपये यानी करीब 76 फीसदी किसानों को मुआवजे के तौर पर वितरित किए गए हैं. किसानों को औसत वार्षिक भुगतान 4,080 करोड़ रुपये रहा. जबकि बीमा कंपनियों ने इस दौरान 7,173 करोड़ रुपये का फायदा कमाया. कोकाटे ने बताया कि कंपनियों ने सरकार को 2,322.61 करोड़ रुपये भी लौटाए हैं.
कोकाटे की मानें तो खरीफ 2023 और रबी 2023-24 के दौरान फसल नुकसान के मुआवजे के रूप में 262.70 करोड़ रुपये अभी भी अटके हुए हैं. इसके अलावा, चालू खरीफ 2024 सीजन के लिए 400 करोड़ रुपये बकाया हैं. कोकाटे ने किसानों को भरोसा दिलाया है कि सरकार इस मुद्दे को हल करने के लिए प्रतिबद्ध है. अगले आठ दिनों के अंदर अटकी हुए प्रीमियम का भुगतान कर दिया जाएगा. इसके बाद किसानों को बकाया मुआवजा देने का रास्ता साफ हो जाएगा.
यह खबर ऐसे समय में आई है जब कृषि मंत्री ने खुद कहा था कि अगर बीमा कंपनियों ने कुछ भी गलत काम किया या फिर किसानों के साथ धोखाधड़ी की तो फिर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. दूसरी ओर राज्य सरकार ने फर्जी फसल बीमा दावे पेश करने वाले किसानों को ब्लैकलिस्ट करने का फैसला किया है. यह कार्रवाई पहले सिर्फ बिचौलियों और सर्विस प्रोवाइडर्स तक ही सीमित थी. कृषि विभाग की मानें तो फसल बीमा कार्यक्रम के तहत फर्जी आवेदन दाखिल करने के कई मामलों के मद्देनजर यह फैसला लिया गया है.
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