हरियाणा में धान खरीद में घोटाले का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है. राज्य के लगभग सभी मंडियों में किसानों के साथ फर्जीवाड़े का आरोप लग रहा है. इस बीच, भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) ने धान खरीद में घोटाले को लेकर पत्र लिखा है. दरअसल, ये पत्र BKU (चढूनी) ने राज्य के मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री,नेता विपक्ष और सभी विपक्षी दलों के नेता, सभी डीसी, डीएफएससी, एसपी, मंडी अधिकारी, संबंधित मंत्री, विभाग अध्यक्ष और खरीद एजेंसियों को लिखा है. पत्र में लिखा है कि अधिकारियों और नेताओं के ध्यान में लाया जाता है कि हरियाणा में धान का बहुत बड़ा घोटाला चल रहा है.
पत्र में लिखा है कि हरियाणा में सारी धान खरीद एमएसपी पर खरीदी दिखाई जाती है, जबकि किसानों को कई सौ रुपये प्रति क्विंटल कम दिए जाते हैं. खरीद एजेंसी मंडी से नदारद होती है और पूरी खरीद राईस मिलरों के रहमों करम पर होती है, अधिकारियों और राइस मिलरों ने मिल कर ऐसी व्यवस्था खड़ी कर दी है कि एक दुकान पर एक ही राईस मिलर ख़रीद कर सके और आढ़ती और किसान एक को ही देने पर विवश हो जाएं. आज क़रीब एमएसपी से तीन सौ रुपये कम पर धान बिक रही है, ये पैसा राईस मिलर और एजेंसी किसान से नकद वसूल कर एमएसपी पर खरीद दिखा देते हैं. दुखद ये है कि राइस मिलर,अधिकारी और नेता सब मिलकर ये सब कर रहे हैं.
उत्तर प्रदेश से भारी मात्रा में सीधा राईस मिलों में धान आ रहा है. अगर उसको पकड़ लिया जाए तो कहते हैं कि हम व्यापार कर रहे हैं, उसके कागज भी पूरे दिखा देते हैं और अगर ना पकड़ा जाए तो उसी धान को सरकारी धान में मिला कर हरियाणा का धान दिखा देते हैं. इसके अलावा कागजात नष्ट कर देते हैं. कितनी धान व्यापार के लिए खरीदी गई इसकी सूचना राइस मिलर को चौदह दिन में मार्केट कमेटी को देने का नियम है. इसके अलावा मार्केट कमेटी के पास कोई सूचना का स्रोत नहीं है. कम से कम इसकी सूचना चौबीस घंटे पहले तो मंडी सेक्रेटरी और जिस एजेंसी का धान वो राइस मिलर उठा रहा है उनको तो मिलनी ही चाहिए, जब up से अठारह सौ में धान आएगी तो यहां की धान क्यों लेंगे इसे तुरंत रोका जाए.
बहुत से राईस मिलर सीधा चावल ही मंगवा रहे हैं, जबकि राईस मिल तो धान कुटाई के लिए होता है ना कि चावल खरीदने के लिए ये चावल भी धान में तब्दील कर दिया जाता है. सभी राईस मिलों में रखे धान की तुरंत जांच कराई जाए. अगर धान कम या ज्यादा पाया जाए तो संबंधित अधिकारी और राईस मिलर दोनों पर हेराफेरी का मुकदमा दर्ज किया जाए, जो जांच टीम बनाई जाए जिसमें दो आदमी किसान यूनियन के शामिल किए जाएं या जांच अधिकारी हमारी मर्जी के ईमानदार हों.
पहले गेट पास मंडी वाले काटते थे अब गड़बड़ को छुपाने के लिए dfsc वाले ही काटते हैं. इन सभी घोटालों की जड़ पोर्टल है. आज तक एक भी पटवारी अधिकारी या जाली पोर्टल में संलिप्त किसी भी व्यक्ति को दंडित नहीं किया गया बल्कि असली किसानों का जानबूझकर गलत कर दिया जाता है. बहुत ही गंभीर मामला है.
BKU ने पत्र में लिखा है कि सभी अधिकारी और नेताओं को स्थिति पर कंट्रोल करना चाहिए, वरना लोगों का गुस्सा सातवें आसमान पर है और किसी समय भी फूट सकता है. फिर संभालना मुश्किल हो सकता है,जिसके जिम्मेदार आप सभी होंगे, इसलिए हमारी बातों को गंभीरता से ले. इन सब मामलों को सुलटाने और समझाने के लिए संबंधित सर्वोच्च अधिकारियों के साथ हम एक मीटिंग करना चाहते हैं, ताकि व्यवस्था ठीक हो सके और किसानों को कोई परेशानी ना हो और उनकी सारी धान एमएसपी पर बिक सके. खुल्लर साहब या सीएम साहब ये मीटिंग तुरंत फिक्स करवाई जाए.