राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम के विधानसभा चुनावों में कई उलटफेर देखने को मिले हैं. इसमें कई मंत्रियों को हार का सामना करना पड़ा है. लेकिन, एक बात दिलचस्प है कि तीन राज्यों में कृषि मंत्री चुनाव हार गए हैं. जबकि एक राज्य में कृषि विभाग संभालने वाले नेताजी पहले ही मैदान छोड़ गए थे. सत्ता बीजेपी, कांग्रेस की रही हो या फिर बीआरएस की, एक में भी कृषि मंत्री की कुर्सी नहीं बची. सवाल यह है कि क्या किसी एक भी राज्य के कृषि मंत्री ने किसानों के लिए इतना काम नहीं किया था कि जनता ने उन्हें रिजेक्ट कर दिया. राजस्थान के कृषि मंत्री लालचंद कटारिया पहले ही मैदान छोड़ चुके थे. उन्होंने इस बार चुनाव ही नहीं लड़ा था. हालांकि, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर जरूर मध्य प्रदेश की दिमनी विधानसभा सीट पर बंपर वोटों से चुनाव जीत गए हैं.
बहरहाल, अब हम आते हैं राज्यों के कृषि मंत्रियों की हार पर. हो सकता है कि यह महज एक संयोग ही हो, लेकिन अपने आप में चौंकाने वाली बात है कि मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के कृषि मंत्री अपने ही क्षेत्र की जनता में छाप नहीं छोड़ सके. किसानों की नाराजगी इन पर भारी पड़ी. जबकि, कृषि ऐसा विषय है जिस पर बीजेपी, कांग्रेस और बीआरएस तीनों फोकस कर रहे थे. तेलंगाना और छत्तीसगढ़ में तो सरकार ने खेती-किसानी पर विशेष जोर दिया हुआ था.
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