महाराष्‍ट्र में कपास, सोयाबीन और अरहर पर इतना MSP देने की मांग, किसानों ने बीड में किया विरोध-प्रदर्शन

महाराष्‍ट्र में कपास, सोयाबीन और अरहर पर इतना MSP देने की मांग, किसानों ने बीड में किया विरोध-प्रदर्शन

महाराष्ट्र के बीड में किसानों ने कपास, सोयाबीन और अरहर पर MSP बढ़ाने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया. किसानों ने कहा कि लागत दोगुनी हो चुकी है, लेकिन फसलों के दाम वर्षों से नहीं बढ़े. मांगें नहीं मानी गईं तो आंदोलन तेज किया जाएगा.

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क‍िसान तक
  • Noida,
  • Dec 25, 2025,
  • Updated Dec 25, 2025, 11:29 PM IST

महाराष्ट्र के बीड जिले में गुरुवार को किसानों का गुस्सा सड़कों पर साफ नजर आया. सैकड़ों किसान फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) बढ़ाने की मांग को लेकर एकजुट हुए और कलेक्टर कार्यालय तक मार्च निकाला. फार्मर्स राइट्स मूवमेंट के बैनर तले किसानों ने प्रदर्शन करते हुए कपास, सोयाबीन और तूर (अरहर) की कीमतों को लेकर सरकार और एजेंसियों पर गंभीर आरोप लगाए गए. प्रदर्शन कर रहे किसानों ने कहा कि कि मौजूदा MSP उनकी खेती की लागत तक नहीं निकाल पा रही है. 

किसानों ने कपास और तूर के लिए 12,000 रुपये प्रति क्विंटल और सोयाबीन के लिए 7,000 रुपये प्रति क्विंटल MSP तय करने की मांग रखी. उनका आरोप है कि बाजार में लंबे समय से फसलों के दाम ठहरे हुए हैं, जबकि बीज, खाद, कीटनाशक, डीजल, बिजली और मजदूरी की लागत लगातार बढ़ती जा रही है.

CCI पर लगाए ये आरोप

किसानों ने कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (CCI) पर भी खरीद प्रक्रिया में गैर-जरूरी पाबंदियां लगाने का आरोप लगाया. कहा कि खरीद केंद्रों पर नियम इतने सख्त हैं कि बड़ी संख्या में किसान अपनी उपज MSP पर बेच ही नहीं पा रहे हैं. मजबूरी में उन्हें बाजार समितियों और निजी व्यापारियों को MSP से कम दाम पर फसल बेचनी पड़ रही है, जिससे भारी नुकसान हो रहा है.

MSP से नीचे फसल खरीदने वालों पर कार्रवाई की मांग

प्रदर्शन के दौरान किसानों ने यह भी मांग की कि MSP से नीचे फसल खरीदने वाले बाजार समितियों और व्यापारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए. साथ ही, जिन किसानों को मजबूरी में औने-पौने दाम पर फसल बेचनी पड़ी है, उन्हें सरकार द्वारा मुआवजा दिया जाए. किसानों ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उप मुख्यमंत्री अजित पवार और एकनाथ शिंदे, कृषि मंत्री दत्तात्रेय भरणे और जिला प्रशासन के नाम ज्ञापन सौंपा. 

'14 साल में दोगुनी हुई खेती की लागत'

ज्ञापन में कहा गया कि पिछले करीब 14 वर्षों में खेती की लागत लगभग दोगुनी हो चुकी है, लेकिन फसलों के दाम लगभग वहीं के वहीं बने हुए हैं. इस असंतुलन ने किसानों को कर्ज के जाल में फंसा दिया है और घर खर्च, बच्चों की पढ़ाई और शादी जैसे सामाजिक दायित्व निभाना भी मुश्किल हो गया है. किसानों ने चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगों पर जल्द ठोस फैसला नहीं लिया गया तो आंदोलन को अनिश्चितकालीन रूप दिया जाएगा.

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