करनाल में सीजन की पहली बारिश किसानों के लिए फायदेमंद होगी, जहां हल्की बारिश से गेहूं की फसल पर धूल मिट्टी के कण सब धूल गए साथ ही आसमान में नाइट्रोटन के कण बारिश के साथ फसल में मिल गए. इससे खेतों में गेहूं की फसल काफी अच्छी बनी हुई हैं, जो संकेत दे रही है कि अगर सब कुछ ठीक रहा तो भारत सरकार द्वारा निर्धारित टारगेट को आसानी से प्राप्त किया जा सकेगा. ये बातें भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान केंद्र करनाल के डायरेक्टर डॉ. रत्न तिवारी ने कही.
भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान केंद्र करनाल के निदेशक ने बताया कि गत दिनों हुई हल्की बारिश से दो फायदें तुरंत नजर आए हैं, पहला कि गेहूं की फसल को इन दिनों नमी की काफी जरुरत होती है, खासकर जिन किसानों ने गेहूं की बिजाई समय से कर दी थी. उनकी फसल की स्थिति काफी अच्छी है. इस समय नमी आती तो वे गेहूं की फसल के लिए काफी लाभदायक होती है.
दूसरा धूल, कण जो हवा के साथ उड़ते रहते हैं तो वे गेहूं की पत्तियों पर जम जाते है, बारिश की बूंदों से धूल गए. उन्होंने कहा कि गेहूं को ठंड पंसद हैं, जितनी ठंड पड़ेगी, गेहूं की फसल उतनी ही अच्छी होगी. उन्होंने दावा कि बारिश से गेहूं की फसल को बेहतरीन फायदा होगा.
निदेशक ने बताया कि अब तक देश में 293 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बिजाई हो चुकी है, जबकि पिछले साल इन दिनों तक 284 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बिजाई हुई थी. अब तक 9 लाख हेक्टेयर एरिया में गेहूं की बिजाई ज्यादा हो चुकी है.
मौसम ठीक रहा तो इस साल गेहूं का रकबा बढ़ने की ज्यादा संभावना हैं, जिससे भारत सरकार ने इस साल 115 मिलियन टन गेहूं की पैदावार का लक्ष्य निर्धारित किया है, जबकि पिछले साल ये 113.2 मिलियन टन था.
निदेशक ने कहा कि तापमान कम रहे, लेकिन मौसम साफ चमकदार रहे तो ये गेहूं की फसल के लिए अच्छा रहता है. उन्होंने कहा कि पछेती गेहूं की फसल के लिए अभी कुछ फायदा नजर नहीं आ रहा है. जिन किसानों ने गेहूं की बिजाई के लिए खेत तैयार कर रखे थे, बिजाई कुछ दिनों के लिए टाल देना चाहिए.
निदेशक ने बताया कि संस्थान की ओर से किसानों को हर 15 दिनों के अंतराल पर गाइडलाइन जारी की जाती है. किसान संस्थान द्वारा जारी की जाने वाली गाइडलाइन पर अमल करें.