किसान कपास की खेती से अच्छी कमाई कर सकते हैं. कपास की अधिक पैदावार लेने के लिए किसानों को उसको सही समय पर खेती और अच्छी किस्मों का चयन करना बेहद जरूरी है, इसकी कुछ ऐसी किस्में हैं, जिसमें न कीट लगते हैं और न ही रोग होता है. इन किस्मों की खेती से किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. आज हम बात करेंगे कॉटन की उन टॉप 5 वैरायटी के बारे में जिससे किसान खेती कर अच्छी गुणवत्ता और उत्पादन दोनों पा सकते हैं.
सुपरकॉट : कपास की यह वैरायटी अच्छी किस्मों में से एक मानी जाती है. यह किस्म चूसक कीड़ो के लिए सहिष्णु होती है. सिंचित असिंचित क्षेत्रों में इसकी बुवाई कर सकते है. मध्यम और भरी भूमि में इसकी बुवाई कर आसानी से कर सकते है. इसका फसल कालावधि 160-170 दिन का है.
रासी नियो : कपास की ये वैरायटी टॉप में आती है.रासी नियो यह किस्म के पौधे एकदम हरे भरे रहते है. इसकी व्यापक अनुकूल क्षमता है. इसकी उत्पादन क्षमता प्रति एकड़ 20-22 क्विंटल है. यह किस्म चूसक कीड़ो के लिए सहिष्णु होती है.
इंडो उस 936: यह वैरायटी टॉप में आती है. इसकी व्यापक अनुकूल क्षमता है. इसकी उत्पादन क्षमता प्रति एकड़ 15-20 क्विंटल है. यह किस्म चूसक कीड़ो के लिए सहिष्णु होती है. इसके फसल की कालावधि 155-160 दिन का है. पंखुडिओ का रंग क्रीमी होता है. इसकी कपास बोल का वजन 6-10 ग्राम होता है.
अजीत: कपास में यह वैरायटी सबसे अच्छी मानती जाती है. यह किस्म चूसक कीड़ो के लिए सहिष्णु होती है. सिंचित असिंचित क्षेत्रोंमें इसकी बुवाई कर सकते है. इसका फसल कालावधि 145-160 दिन का है. पौधे की लम्बाई 145 सेमि से 160 सेमि इसकी कपास बोल का वजन 6-10 ग्राम होता है. इसकी रेशा अच्छे क्वालिटी का होता है. इसकी उत्पादन क्षमता प्रति एकड़ 22-25 क्विंटल है.
महिको बाहुबली : यह मध्यम कालावधि में पकनेवाली किस्म है.इसका बोल की साइज एक जैसी होती है और बोल का वजन भी अच्छा होता है. यह किस्म कर्नाटक,आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और राजस्थान में ज्यादा मात्रा में लगाई जाती है. इसकी उत्पादन क्षमता 20-25 क्विंटल प्रति एकड़ है. इसकी बोल की ओपनिंग अच्छी होती है.