बीते कुछ सालों से देश में जैविक खेती को खूब बढ़ावा दिया जा रहा है. जैविक खेती हमारे स्वास्थ्य के साथ-साथ पर्यावरण के लिए भी काफी फायदेमंद मानी जाती है. जैविक खेती में वर्मी कंपोस्ट का उपयोग खास तौर पर किया जाता है. वर्मी कंपोस्ट का सबसे बड़ा इंजीनियर केंचुआ होता है. आइए जान लेते हैं कि वर्मी कंपोस्ट बनती कैसे है.
वर्मी कंपोस्ट को बनाने के लिए सबसे पहले गोबर को एकत्रित किया जाता है. गाय-भैंस का गोबर आसानी से पशुपालकों और डेयरी फार्मर्स के पास से आप ले सकते हैं. इसके बाद इस गोबर को 15 दिनों ठंडा किया जाता है. ध्यान रहे बिना ठंडा किए गोबर में किसी तरह का प्रयोग नहीं करना चाहिए.
गोबर को ठंडा करने के लिए कोई खास ट्रीटमेंट नहीं करना होता बल्कि ऐसे ही उन्हें खुली जगह पर सड़ने के लिए छोड़ दिया जाता है. इसके लिए लगभग हफ्ते भर गोबर में ठंडा पानी डालकर पूरी तरह से मीथेन गैस निकली जाती है. गोबर से मीथेन रिलीज किए बिना फस पर किसी तरह का प्रयोग ना करें.
गोबर के बेड की लंबाई चौड़ाई का ध्यान रखना सबसे ज्यादा जरूरी होता है. इस बेड की लंबाई लगभग 30 फिट और चौड़ाई तीन-चार फिट तक रखनी होती है. बेड की ऊंचाई लगभग डेढ़ फिट होती है. एक 30 फुटा बेड में लगभग 15 किलो केंचुए छोड़ दिए जाते हैं, जो गोबर को खाद में परिवर्तित करते हैं.
30 फिट के गोबर में 15 किलो केंचुआ छोड़ दिया जाता है जिसके बाद केंचुए अपना काम शुरू कर देते हैं. गोबर के भीतर केंचुओं की प्रजनन क्षमता भी बढ़ जाती है जो कुछ ही दिनों में खुद को दोगुना कर लेते हैं. लगभग ढाई से तीन महीने के अंदर ये केंचुए पूरे गोबर को खाकर भुरभुरी खाद में बदल देते हैं.
केंचुओं की अच्छी वृद्धि के लिए उनकी खुराक के बारे में भी जानना बहुत जरूरी है. केंचुओं की ग्रोथ और बेहतर प्रजनन के लिए 20 लीटर पानी में एक किलो गुड, एक किलो बेसन और एक लीटर छाछ मिलाकर गोबर के बेड पर छिड़काव करें और ग्रीन शेड से ढंक दें, ढंकने से अंधेरा होता है जिसमें केंचुए आसानी से अपना काम करते हैं.
वर्मी कंपोस्ट बनाने के बाद आप इसे बेंच भी सकती हैं. इन दिनों बाजार में ऑर्गेनिक खादों की बहुत अधिक मांग है. वर्मी कंपोस्ट बनाने की शुरुआत करने के लिए एक ट्राली गोबर और 10 किलो केंचुए भी काफी होते हैं. इसके लिए बेड बनाने और केंचुओं के खान पान का विशेष ध्यान दें.
वर्मी कंपोस्ट ऑर्गेनिक खाद होती है. इसका उपयोग करने से मिट्टी की उपजाऊ क्षमता में बढ़ोतरी होती है. इतना ही नहीं केमिकल खादों के मुकाबले वर्मी कंपोस्ट के उपयोग से उगाए गए फसलों से मिलने वाले पैदावार की गुणवत्ता बेहतर होती है जो हमारी हेल्थ के लिए फायदेमंद है, मिट्टी के अलावा वर्मी कंपोस्ट हवा और पानी के प्रदूषण को भी कम करती है.