Fact Of The Day: एक दिन में 3 फुट तक बढ़ जाता है यह पौधा, 3-4 पीढ़‍ियों तक कराएगा कमाई

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Fact Of The Day: एक दिन में 3 फुट तक बढ़ जाता है यह पौधा, 3-4 पीढ़‍ियों तक कराएगा कमाई

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जब तेजी से बढ़ने वाली फसलों की बात होती है तो सबसे पहले बांस का ही नाम आता है, जिसे लेकर आजकल खेती और उद्योग दोनों में जबरदस्त रुचि बढ़ रही है. बांस न सिर्फ मिट्टी और पर्यावरण के लिए फायदेमंद माना जाता है, बल्कि लंबे समय तक लगातार कमाई देने की क्षमता भी रखता है. इसी पौधे के बारे में रोचक तथ्य, खेती की बारीकियां और इसकी बढ़ती इंडस्ट्री को समझने के लिए 'किसान तक' ने प्रगतिशील किसान अनुतोष से बातचीत की. उनके अनुभव और समझ के आधार पर जानते हैं कि बांस आखिर इतना खास क्यों है और यह किसानों व पर्यावरण दोनों के लिए कैसे वरदान बन सकता है.
 

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बैम्बू यानी बांस किसी साधारण फसल से कहीं अधिक है. यह घास जैसा तेजी से बढ़ने वाला पौधा है, जो कुछ प्रजातियों में एक दिन में तीन फीट तक वृद्धि कर सकता है और सही किस्म और प्रबंधन के साथ 70 साल तक आर्थिक रूप से रिटर्न दे सकता है. यानी 3-4 पीढ़‍ियों तक कमाई संभव है. बैम्बू की बढ़त बेहद तेज है, इसलिए इसे "वनस्पति-इंजीनियर" भी कहा जाता है क्योंकि यह जमीन को बांधता है, मिट्टी की ऊपरी परत को बचाता है और जल संधारण में मदद करता है.

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बैम्बू का कार्बन सीक्वेस्ट्रेशन पर बड़ा सकारात्मक असर होता है. सामान्य बड़े पेड़ों की तुलना में कई बैम्बू किस्में 30-35% अधिक कार्बन अवशोषित कर सकती हैं और ऑक्सीजन छोड़ने की क्षमता भी बेहतर होती है.
 

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इससे शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में वायु प्रदूषण और कार्बन फुटप्रिंट कम करने में मदद मिलती है. साथ ही बैम्बू की पत्ती और मल्चिंग मिट्टी की नमी बनाए रखती है और मिट्टी क्षरण रोकती है.
 

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कृषि नजरिये से बैम्बू की खासियत यह है कि एक बार लगाने पर उसकी मेंटेनेंस लागत बहुत कम होती है. पहले तीन साल में निवेश अपेक्षाकृत अधिक रहता है - नर्सरी सैपलिंग, ड्रिप इरिगेशन, शुरुआती फेंसिंग और मिट्टी सुधार जैसे खर्च आते हैं. 
 

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आमतौर पर बांस की खेती पर पहले साल का कुल खर्च 1.75 लाख से 2.75 लाख प्रति एकड़ तक आ सकता है और पांच साल में कुल निवेश 3-5 लाख तक सीमित रह सकता है. इसके बाद वार्षिक रखरखाव लागत घट कर 20-60 हजार प्रति एकड़ रह सकती है.
 

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 उत्पादन की बात करें तो अच्छी तरह से मैनेज की गई हाई-डेंसिटी प्लान्टेशन में पांचवें साल के बाद प्रति एकड़ 8-12 टन से लेकर 80-100 टन तक ताजा बायोमास मिल सकता है, जो उद्योगों के लिए कच्चा माल बनकर अच्छी कमाई देता है. बैम्बू का उपयोग फर्नीचर, निर्माण, टेक्सटाइल, एग्री-बायोफ्यूल और फार्मास्यूटिकल्स में बढ़ता जा रहा है. खास बात यह है कि कटाई के बाद भी बैम्बू फिर से उगता है, इसलिए सतत उत्पादन संभव है.
 

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बांस के पर्यावरण और सामाजिक फायदे भी उल्लेखनीय हैं. बैम्बू प्लांटेशन्स बैरन और घासवाले क्षेत्रों को उपयोगी बना सकती हैं, रोडसाइड ब्यूटीफिकेशन के साथ-साथ धूल और डस्ट कंट्रोल में मदद कर सकती है और स्थानीय स्तर पर रोजगार पैदा कर सकती है. कई राज्य-स्तरीय नीतियां और सब्सिडी योजनाएं अब बैम्बू को प्रोत्साहित कर रही हैं, जिससे शुरुआती निवेश पर बड़ी मदद मिल सकती है.
 

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