राजस्थान के धौलपुर जिले के किसान पिछले दो साल से लगातार अतिवृष्टि की मार झेल रहे हैं. खेतों में पानी भरने से खरीफ की फसलें नष्ट हो गईं और अब रबी के मौसम में भी समस्याएं खत्म होने का नाम नहीं ले रहीं. कई गांवों में आज भी खेत लबालब भरे हैं, जिससे किसान बुवाई तक नहीं कर पाए.
इस समय रबी की फसल का सीजन चल रहा है. जिले में सरसों, गेहूं, चना और आलू की बुवाई ज्यादातर जगह हो चुकी है. लेकिन पहली सिंचाई के समय लगने वाली डीएपी खाद की भारी कमी है. मजबूरी में किसानों को डीएपी, यूरिया और अमोनियम खाद ब्लैक में खरीदनी पड़ रही है.
किसानों ने बताया कि डीएपी 2000 से 2100 रुपये बोरी और यूरिया 400 रुपये में खरीदनी पड़ी. आलू जैसी नगदी फसल में खाद, बीज, दवा और अन्य खर्च मिलाकर 40 से 50 हजार रुपये प्रति बीघा तक लागत आ रही है. वहीं सरसों की खेती पर भी 10 से 15 हजार रुपये प्रति बीघा खर्च हो रहा है.
किसानों को दिन में 6 घंटे बिजली मिलने का नियम है, लेकिन हकीकत में रात को सिर्फ 2 से 3 घंटे ही बिजली मिल रही है. नहरों की सफाई नहीं होने से खेतों तक पानी नहीं पहुंच रहा. इससे फसलों की सिंचाई समय पर नहीं हो पा रही.
25 सितंबर को प्रधानमंत्री द्वारा चंबल लिफ्ट नहर परियोजना का लोकार्पण किया गया, लेकिन किसानों को अब तक पानी नहीं मिला है. परियोजना का काम करीब 80 फीसदी ही पूरा हुआ है. न तो पानी एमबीआर तक पहुंचा है और न ही डिग्गियों तक, जिससे किसान निराश हैं.
किसानों ने साफ कहा है कि अगर 20 दिसंबर तक पानी नहीं मिला तो 25 दिसंबर को राजाखेड़ा क्षेत्र में महापंचायत होगी. इसके बाद 26 दिसंबर को किसान पदयात्रा कर धौलपुर कलेक्ट्रेट पर धरना-प्रदर्शन करेंगे. किसानों का कहना है कि अब सब्र जवाब दे रहा है.
अतिवृष्टि से बसेड़ी, सैपऊ, राजाखेड़ा और धौलपुर उपखंड के कई गांवों में खरीफ की फसलें नष्ट हो गई थीं. किसानों का आरोप है कि गिरदावरी सही से नहीं हुई और अब तक मुआवजा नहीं मिला. हालांकि जिला प्रशासन का कहना है कि मुआवजा स्वीकृत हो चुका है और जल्द ही किसानों के खातों में राशि ट्रांसफर की जाएगी.