पशुओं की देखभाल के लिहाज से फरवरी को बहुत ही अहम माना जाता है. वो इसलिए कि कड़ाके की सर्दी के बाद गर्मी का मौसम इसी महीने के बाद शुरू होता है. और अगर फरवरी की बात करें तो ये ऐसा महीना है जिसमे ना तो सर्दी ही पता चलती है और ना ही गर्मी का अहसास होता है.
इसीलिए फरवरी को बदलते मौसम की आहट देने वाला महीना भी कहा जाता है. पशुपालकों की अक्सर शिकायत रहती है कि गर्मियों में पशुओं का दूध उत्पादन कम हो जाता है. ऐसी ही शिकायतों को देखते हुए एनिमल एक्सपर्ट फरवरी में पशुओं की खास देखभाल के लिए कुछ जरूरी टिप्स देते हैं.
अगर एक्सपर्ट के दिए टिप्स का पालन करते हुए पशुपालक गाय-भैंस की देखभाल करते हैं तो गर्मियों में दूध उत्पादन घटने की संभावना ना के बराबर ही रह जाती है. और ऐसा करने के लिए पशुपालकों को रुपये खर्च करने की भी जरूरत नहीं है.
किस महीने और किस मौसम में पशुओं की देखभाल कैसे करें, इसे लेकर समय-समय पर सरकार और संबंधित विभाग की ओर से एडवाइजरी जारी की जाती है. जिससे घर पर ही कुछ जरूरी कदम उठाकर पशुओं को राहत दी जा सके.
खासतौर पर पहले से बीमार और गर्भवती पशुओं का खास ख्याल रखने के बारे में जरूर बताया जाता है. पशु और उसे रखे जाने वाले बाड़े की रोजाना सफाई करें. पशु को दिन में धूप तो रात को गर्म जगह पर रखें. पशु हीट में आए तो उसे उत्तम नस्ल के सांड या एआई से गाभिन कराएं.
पशु तीन महीने का गाभिन हो तो पशु चिकित्सक से जांच कराएं. साथ ही बच्चा देने वाले पशु को दूसरे पशुओं से अलग रखें.डॉक्टर की सलाह पर पशुओं के बच्चों को पेट के कीड़ों की दवाई जरूर दें.
पशुओं को थनैला रोग से बचाने के लिए पूरा दूध निकालें. इसके अलावा भेड़ और बकरियों को पीपीआर का टीका लगवाएं. बरसीम चारे की सिंचाई 12 से 14 या फिर 18 से 20 दिन में कर दें. बरसीम और जई फसल की कटाई सही अवस्था पर करते रहें.