PHOTOS: 2 गाय से शुरू किया पशुपालन अब 43 गायों तक पहुंचा, हजारों में कमाई

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PHOTOS: 2 गाय से शुरू किया पशुपालन अब 43 गायों तक पहुंचा, हजारों में कमाई

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गिर भारतीय मूल की एक देसी गाय है. गिर गाय (Gir cow) की एक ऐसी खास नस्ल है, जो अधिक दूध देने के लिए न सिर्फ भारत बल्कि पूरे विश्व में जानी जाती है. इस नस्ल का मूल स्थान गुजरात के दक्षिण काठियावाड़ में है. इसका दूध पूरी तरह से A2 मिल्क होता है. वहीं, इस गाय का दूध का उत्पादन भी अच्छा होता है. इस गाय को पालकर किसान लाखों रुपये की आमदनी भी कमाते हैं.

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ऐसे में ही एक किसान हैं राकेश कुमार जो हरियाणा के अंबाला के रहने वाले हैं. राकेश कुमार अपनी गिर गाय को लेकर अभी करनाल के डेरी किसान मेले में पहुंचे थे, जहां उन्होंने बताया कि उन्होंने 2 साल पहले गिर नस्ल की 2 गाय से पशुपालन का काम शुरू किया था, जो आंकड़ा अब 2 से 43 तक पहुंचा गया है.

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पशुपालक ने बताया वह गिर गाय के ब्रीडिंग के ऊपर काम करते हैं. वहीं, अभी उनके पास करीब 43 गिर गाय हैं. उन्होंने करीब 2 साल उन्होंने सिर्फ 2 गिर गाय से पशुपालन का व्यवसाय शुरू किया था, लेकिन जैसे-जैसे उसके पास घी और दूध की मांग बढ़ती गई वो गाय को बढ़ाते गए और अब वह ब्रीडिंग भी कर रहे हैं.

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उन्होंने बताया कि भारतीय नस्ल की ये गाय कमाई के लिहाज से काफी फायदेमंद है. उन्होंने कहा उनके पास जो गिर गाय मौजूद हैं, उनमें से वह 20 लीटर, 18 लीटर और 15 लीटर दूध देने वाली अलग-अलग गाय मौजूद हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि जैसी गिर गाय उससे वैसा दूध उत्पादन होता है.

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पशुपालन के फायदे बताते हुए राकेश कुमार ने बताया कि कमाई बढ़ने के साथ ही उनके मन और शरीर दोनो को शांति मिलती है. इसके अलावा उन्होंने बताया कि वो 100 रुपये लीटर के हिसाब इसका दूध बेचते हैं और 3500 रुपये किलो घी बेचते हैं. वो इस महंगी घी को बिलोना पद्धति से बनाते हैं.

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राकेश कुमार ने बताया कि पशु मेले में उनका फर्स्ट टाइम का एक्सपीरियंस है. उन्होंने बताया कि वो इस मेले में अपनी तीन गायों को लेकर आए हैं. इसके अलावा उन्होंने बताया कि पशुपालन में उनका फोसक अभी सिर्फ गिर गाय पर ही है. इस गिर गाय से उनकी अच्छी कमाई हो रही है जिससे वो संतुष्ट हैं.

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उन्होंने बताया कि पशुपालन में लोग भी अभी जागरूक नहीं हैं और गिर गाय की कम पालन कर रहे हैं. वहीं, इससे होने वाले कमाई के बारे में उन्होंने बताया कि वो 35 सौ रुपये घी बेचते हैं जिसे वो बिलोना पद्धति से बनाते हैं. इस घी को बनाने के लिए सबसे पहले दही जमाते हैं, फिर मिट्टी के बर्तन में उसको मथनी से मथा कर घी निकालते हैं.

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