हाल ही में संपन्न हुए 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव में भाजपा को एमपी, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में अप्रत्याशित सफलता मिली है. जनादेश के बाद अब सबसे बड़ा सवाल 'कौन बनेगा मुख्यमंत्री' है. भाजपा आलाकमान के लिए चुनाव परिणाम में छुपे जनसंदेश के अनुरूप सरकार का गठन करना एक बड़ी चुनौती है. पार्टी नेतृत्व इस सवाल पर पिछले 3 दिन से व्यापक मंथन कर रहा है. सूत्रों के हवाले से छन कर आ रही जानकारियों के मुताबिक तीनों राज्यों में सरकार के गठन का रोडमैप तय कर लिया गया है. तीनों राज्यों में सीएम पद के दावेदारों के बीच संतुलन कायम करने की चुनौती भी पार हो गई है. इसमें कुछ पेंच राजस्थान को लेकर फंसे हुए हैं. चुनाव परिणाम आने के बाद से नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक बुलाकर शक्ति प्रदर्शन कर रही पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया को मनाना पार्टी नेतृत्व के लिए चुनौती बना हुआ है.
भाजपा ने इन तीनों राज्यों में केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों को विधानसभा चुनाव में उतारने का सफल प्रयोग किया है. इसका मकसद इन राज्यों में नए नेतृत्व को उभरने का मौका देना है. सूत्रों की मानें तो इस मकसद को पूरा करने के लिए भाजपा नेतृत्व ने तीनों राज्यों में नए चेहरों को सीएम बनाने पर सैद्धांतिक सहमति बना ली है.
ये भी पढ़ें, 'राम' के बाद अब 'बलराम' बनेंगे भाजपा के तारणहार, किसानों को जोड़ने के लिए निकलेगी राम बलराम यात्रा
साथ ही तीनों राज्यों में सीएम और डिप्टी सीएम में से कोई एक पद महिला को मिलना भी लगभग तय है. सामाजिक समीकरण साधने के क्रम में जातीय समीकरण भी संतुष्ट किए जाएंगे. इसके लिए एमपी में पिछड़ा वर्ग, छत्तीसगढ़ में आदिवासी और राजस्थान में राजघराने का चेहरा आगे रखा जा सकता है. चेहरों की बात की जाए तो तीनों राज्यों में इन समीकरणों को संतुष्ट करने वाले चेहरे मौजूद हैं. इतना ही नहीं इन तीनों राज्यों में चुनाव जीते 12 में से 10 सांसदों से बुधवार को मंत्री एवं सांसद पद से इस्तीफा भी ले लिया गया है.
इनमें एमपी में महिला चेहरे के नाम पर रीति पाठक चुनाव जीती हैं. वहीं प्रहलाद पटेल पिछड़े वर्ग का चेहरा हैं. पाठक और पटेल संसद सदस्यता से इस्तीफा देने वालों में शामिल हैं. वहीं राजस्थान से जीतीं दिया कुमारी राजघराने से ताल्लुक रखती हैं. इसके अलावा विधायक बने राज्यवर्धन सिंह राठौर और किरोड़ी लाल मीणा ने भी इस्तीफा दिया है.
छत्तीसगढ़ में आदिवासी समुदाय की गोमती साय पत्थलगांव सीट से विधायक चुनी गई हैं. कांग्रेस का गढ़ रही इस सीट पर भाजपा को पहली बार जीत मिली है. साय के अलावा प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अरुण साव ने भी संसद सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. इस्तीफा न देने वालों में छत्तीसगढ़ की रेणुका सिंह और राजस्थान के महंत बालकनाथ शामिल हैं. दोनों ही अपने अपने राज्य में सीएम पद की रेस में हैं.
गत 3 दिसंबर को चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद ही भाजपा नेतृत्व इन तीन राज्यों में सरकार के स्वरूप का रोडमैप बनाने में जुट गई थी. सीएम पद के अलावा उपमुख्यमंत्री और मंत्रियों के चेहरों पर फैसला होने के बाद अब इस प्रक्रिया को औपचारिक तौर पर पूरा किया जाएगा.
ये भी पढ़ें, General Election 2024 : एमपी के विंध्य बुंदेलखंड में सपा देख रही भविष्य, 6 सीटों पर लड़ेगी लोकसभा चुनाव
इसके लिए गुरुवार को दिल्ली में भाजपा संसदीय दल की बैठक बुलाई गई है. पीएम मोदी और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित पार्टी के सभी वरिष्ठ नेता इस बैठक में हिस्सा लेकर तीनों राज्यों के लिए पर्यवेक्षक नियुक्त करेंगे. पर्यवेक्षक संबद्ध राज्य में जाकर विधायक दल की बैठक में सीएम के चेहरे पर विधायकों की सहमति लेंगे. तीनों राज्यों में यह बैठक 8 या 9 दिसंबर को हो सकती है.
यह भी एक औपचारिकता मात्र है कि विधायक दल की बैठक में सभी विधायक सीएम पद के लिए चेहरे का चयन करने की जिम्मेदारी पार्टी आलाकमान को सौंपेंगे. इस प्रकार केंद्रीय नेतृत्व द्वारा तय किए गए नामों की घोषणा करके इन राज्यों में नई सरकार के गठन की प्रक्रिया को राज्य स्तर पर पूरा करने की कानूनी औपचारिकता पूरी की जाएगी.