छत्तीसगढ़ की 90 विधानसभा सीटों पर हुए चुनाव के लिए 3 दिसंबर को हुई मतगणना में भाजपा ने 54 सीटें जीतकर प्रचंड बहुमत पा लिया. इस चुनाव में कांग्रेस 35 सीटों पर सीमित हो गई. इसके बाद भी भाजपा को सीएम पद पर तमाम चेहरों की मजबूत दावेदारी होने के कारण अंतिम फैसला करने में एक सप्ताह लग गया. भाजपा खेमे में छत्तीसगढ़ के सीएम पद को लेकर जोर आजमाइश का दौर शुरू आज खत्म हो जाएगा. इस देरी के पीछे जानकारों का मानना है कि भाजपा नेतृत्व के सामने कुछ महीने बाद ही होने वाले लोकसभा चुनाव की चुनौती है. इसलिए सीएम पद के चेहरे का चयन करने में इतनी माथापच्ची करनी पड़ी. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में शुक्रवार को दिल्ली में हुई भाजपा संसदीय दल की बैठक में पर्यवेक्षकों की तैनाती की गई. केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा सहित तीन नेताओं पर्यवेक्षक दल आज रायपुर में राज्य के सीएम पद के लिए विधायकों से राय मशविरा करेगा.
भाजपा संसदीय बोर्ड ने राजस्थान, एमपी और छत्तीसगढ़ के सीएम पद पर चयन के लिए 3- 3 पर्यवेक्षक नियुक्त कर किए हैं. इनमें छत्तीसगढ़ के लिए जनजातीय मामलों के केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव दुष्यंत कुमार गौतम को पर्यवेक्षक बनाया गया है. तीनाें पर्यवेक्षक आज रायपुर पहुंच गए हैं. जहां दोपहर 2 बजे नवनिर्वाचित विधायक दल की बैठक आहूत की गई है.
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इस बीच भाजपा की जीत वाले राज्य राजस्थान और एमपी में भी सीएम पद के लिए चेहरे की तलाश को लेकर इसी तरह की कवायद पिछले एक सप्ताह से चल रही है. पार्टी के संसदीय बोर्ड छत्तीसगढ़ के साथ इन दोनों राज्यों के लिए भी पर्यवेक्षक नियुक्त किए हैं. इनमें राजस्थान के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राज्यसभा सांसद सरोज पांडेय और भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े को पर्यवेक्षक नियुक्त किया है. जबकि एमपी के लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, पार्टी के ओबीसी मोर्चा के अध्यक्ष के. लक्ष्मण और पार्टी की राष्ट्रीय सचिव सुश्री आशा लाकड़ा को पर्यवेक्षक दल में शामिल किया गया है. इन दोनों राज्यों में सोमवार को विधायक दल की बैठक आहूत की गई है.
छत्तीसगढ़ सहित सभी 5 राज्यों के चुनाव अभियान में भाजपा ने सीएम के पद पर किसी का चेहरा सामने नहीं किया था. भाजपा ने पीएम मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ा था. यह रणनीति कारगर साबित होने के बाद अब भाजपा नेतृत्व के समक्ष पूर्व सीएम डॉ रमन सिंह सहित कुछ प्रमुख नाम विचारणीय हैं. ऐसा माना जा रहा है कि कुछ महीने बाद ही होने वाले लोकसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा छत्तीसगढ़ में नए चेहरे की ताजपोशी करना चाहती है. जिससे राज्य में पार्टी के अंदर नए नेतृत्व को उभरने का मौका मिल सके.
हालांकि 15 साल तक छत्तीसगढ़ के सफल सीएम रहे डा रमन सिंह ने खुद को सीएम पद की दौड़ से बाहर नहीं किया है. मगर मौजूदा पार्टी नेतृत्व की कसौटी पर अगर शांत स्वभाव के डाॅ सिंह को परखा जाए ताे उनके लिए आक्रामक कार्यशैली न होना और उम्र की अधिकता ही दो नकारात्मक पहलू माने जा रहे हैं. साथ ही आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए प्रदेश में नए नेतृत्व को उभारने के पहलू को भी ध्यान में रखते हुए पार्टी में कुछ अन्य चेहरे भी इस दौड़ में पीछे नहीं हैं. ऐसे में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अरुण साव, तेजतर्रार पूर्व आईएएस अधिकारी ओपी चौधरी, जनजातीय मामलों की केंद्रीय मंत्री रेणुका सिंह और दुर्ग से सांसद विजय बघेल का नाम दावेदारों में शुमार है. माना जा रहा है कि छत्तीसगढ़ में भाजपा किसी आदिवासी नेता को मुख्यमंत्री और ओबीसी या सामान्य वर्ग से एक उपमुख्यमंत्री बना सकती है.