पंजाब में किसानों को अब सिर्फ फसलों के ही दाम नहीं मिलते हैं, बल्कि अच्छे से खेती करने और कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए भी अच्छे पैसे मिलते हैं. इसके तहत पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान से राज्य के किसानों को चेक सौंपा. कार्यक्रम के दौरान किसानों के बीच कार्बन क्रेडिट का कुल 1.75 करोड़ रुपया वितरित किया गया. यह पंजाब सरकार की ओर से कार्बन क्रेडिट मुआवजे के रूप में उन्हें दी जाने वाली कुल चार किस्तों में से पहली किस्त है. किसानों को किया गया यह भुगतान सरकार के उस पायलट प्रोजेक्ट का हिस्सा है, जिसके अंतर्गत होशियारपुर, रोपड़, मोहाली, पठानकोट और नवांशहर सहित कंडी क्षेत्र के 3,686 किसान शामिल हैं.
इस परियोजना के तहत जो रजिस्टर्ड किसान हैं उन्हें चार किस्तों में कुल 45 करोड़ रुपये का कार्बन क्रेडिट मुआवजा दिया जाएगा. होशियारपुर में 73वें वन महोत्सव के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान होशियारपुर के 818 किसानों के खातों में 1.75 करोड़ रुपये दिए गए. द एनर्जी एंड सोर्स इंस्टीट्यूट और पंजाब वन विभाग ने पर्यावरण स्थिरता और किसानों के कल्याण के लिए यह महत्वपूर्ण कदम उठाया है. दोनों ने मिलकर किसानों के लिए यह कार्बन क्रेडिट मुआवजा कार्यक्रम शुरू किया है. इस पहल के तहत, किसानों को अपनी कृषि भूमि पर पेड़ लगाने और उनकी देखभाल करने के लिए मुआवजा मिल रहा है, जिससे CO2 में कमी आएगी और अतिरिक्त आय का स्रोत भी मिलेगा.
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कार्बन क्रेडिट योजना के तहत लाभ लेने के लिए किसानों को कम से कम पांच साल तक पेड़ लगाने और उनकी देखभाल करने की जरूरत होती है. क्योंकि पांच साल के बाद पेड़ों को बचाने में आसानी होती है. इससे किसानों को आय मिलती है. इसके बाद जब किसान उन पेड़ों को अलग-अलग कंपनियों में बेचते हैं जो कागज और फर्निचर बनाते हैं, इस तरह से कार्बन को जमा करने में वो मदद करते हैं. 'द इंडियन एक्सप्रेस' की एक रिपोर्ट के अनुसार परमजीत सिंह चीमा एक ऐसे ही किसान हैं जो अपनी 17 एकड़ जमीन में पारंपरिक धान और गेहूं की खेती करने के बजाय पेड़ उगाते हैं. वे यूकेलिप्टस और पोपलर के पेड़ बारी-बारी से लगाते हैं. पेड़ 5-6 साल में कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं, तब वे उन्हें काटकर नए पौधे लगाते हैं.
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पंजाब के मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब देश का पहला राज्य है जिसने पर्यावरण को संरक्षित करने और ग्लोबल वार्मिंग को रोकने के लिए कार्बन क्रेडिट योजना शुरू की है. उन्होंने इस योजना के बारे में और भी लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता बताई. बता दें कि किसानों को कार्बन क्रिट का मुआवजा देने के लिए अंतरराष्ट्रीय कंपनी और TERI की टीमें खेतों का दौरा करती हैं. ताकि पेड़ों की गुणवत्ता और अवधि के आधार पर मुआवजे की गणना की जा सके.