भारत के बाजारों में जहां नए और पुराने आलू की कीमतों में अंतर देखा जाता है. वहीं बांग्लादेश के व्यापारियों के अनुसार वहां के ढांका समेत अन्य बाजारों में नए और पुराने दोनों ही आलू एक ही कीमत पर बेची जा रही है. व्यापारियों के मुताबिक बांग्लादेश के बादारों में नया आलू 70 टका और पुराना आलू 60 टका प्रति किलो की दर बेची जा रही है. इसके कारण घरेलु उपभोक्ताओं को परेशानी हो रही है और कीमतों को लेकर वो काफी निराश भी हैं. देश में आलू की कीमते बढ़ने का कारण खराब मौसम को बताया जा रहा है, क्योंकि हाल ही में हुई बारिश ने आलू की फसल को नुकसान पहुंचाया है.
बांग्लादेशी मीडिया के अनुसार ढाका के मीरपुर में दुआरीपारा बाजार के एक खुदरा विक्रेता मोहम्मद जाहिद उद्दीन ने कहा कि जब नए आलू बाजार में आते हैं तो पुराने आलू की कीमत अपने आप कम हो जाती है. लेकिन अब स्थिति बिल्कुल अलग है क्योंकि मैं पुराने और नए आलू एक ही कीमत पर बेच रहा हूं. हाल की बारिश के बाद, थोक बाजार में आलू की कीमत बढ़ गई है. वहीं कारवां बाजार के थोक व्यापारी मोहम्मद सबुज ने कहा कि हाल की बारिश के कारण देश के कई किसानों को नुकसान हुआ है. अधिक बारिश के कारण उन खेतों में पानी जमा हो गया जहां किसानों ने अक्टूबर के महीने में आलू की खेती की थी.
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आगे व्यापारियों ने कहा कि बारिश के कारण किसानों द्वारा बोई गई नई आलू की फसल खराब हो गई इसलिए उन्होंने उस नुकसान को देखते हुए पुराने आलू की कीमतें कम नहीं की. वहीं ट्रेडिंग कॉरपोरेशन ऑफ बांग्लादेश के आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले साल आलू की कीमतों में 75.44 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. देश के प्रमुख आलू उत्पादन केंद्र मुंशीगंज के एक व्यापारी हाजी अवलाद ने कहा कि उन्होंने ढाका से 62 टका प्रति किलोग्राम की दर से नये आलू की खरीद की है. पर उसमें ट्रांसपोर्टेशन लागत भी जुड़ा हुआ है इसलिए वो इसे 70 टका प्रति किलो की दर से बेच रहे हैं.
मुंशीगंज के कृषि विपणन अधिकारी एबीएम मिज़ानुल हक ने भी कहा कि आलू की कीमतें बढ़ने के पीछे की वजह बारिश को बताया है. उन्होंने कहा कि चक्रवात मिचौंग के कारण हुई बारिश से पहले आलू की कीमत मौजूदा कीमत से 10 टका कम थी. वहीं दिनाजपुर और आसपास के अन्य जिलों में, पिछले कुछ दिनों से विभिन्न बाजारों में नए और पुराने आलू एक ही कीमतें पर बिक रही है. स्थानीय बाजारों में नए आलू की कीमत 50-55 टका प्रति किलोग्राम है जबकि पुराने आलू की कीमत 50-60 टका है.
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दिनाजपुर शहर के रेलबाजारहाट के थोक आलू व्यापारी सुमन मिया ने कहा कि नए आलू के आने के बाद आमतौर पर पुराने आलू की कीमत कम हो जाती है, लेकिन इस साल स्थिति अलग है. आलू बाजार में स्थिति असहज बनी हुई है. उन्होंने बताया कि दिनाजपुर और अन्य जिलों में आलू की शुरुआती किस्मों की खेती हमेशा उत्पादकों के लिए लाभदायक होती है, लेकिन इस साल किसानों को इसकी खेती में लाभ नहीं मिल पा रहा है. दिनाजपुर में कृषि विस्तार विभाग के उप निदेशक एमडी नुरुज्जमां ने कहा कि पिछले हफ्ते हुई बारिश के बाद आलू उत्पादक घबरा गए थे क्योंकि इससे उत्पादन पर असर पड़ेगा.