खेती-किसानी में तकनीक इस्तेमाल पर जोर, पीएम मोदी ने 'मन की बात' में डिवाइस बनाने वाले युवाओं को सराहा

खेती-किसानी में तकनीक इस्तेमाल पर जोर, पीएम मोदी ने 'मन की बात' में डिवाइस बनाने वाले युवाओं को सराहा

पीएम मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में जंगली जानवरों पर भी फोकस किया. उन्होंने कहा कि असम में तिनसुकिया जिले के छोटे से गांव बारेकुरी में, मोरान समुदाय के लोग रहते हैं. खास बात यह है कि इसी गांव में 'हूलॉक गिबन' नाम के बंदर भी रहते हैं. इन बंदरों को स्थानीय भाषा में 'होलो बंदर' कहा जाता है.

मन की बात कार्यक्रम में खेती-किसानी का जिक्र. (सांकेतिक फोटो)मन की बात कार्यक्रम में खेती-किसानी का जिक्र. (सांकेतिक फोटो)
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Aug 25, 2024,
  • Updated Aug 25, 2024, 1:42 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के 113वें एपिसोड को संबोधित किया. उन्होंने स्टार्टअप्स की दुनिया में सफलता की परचम लहराने वाले युवाओं और खेती-किसानी से जुड़े मुद्दे पर चर्चा की. इस दौरान पीएम मोदी ने उत्तराखंड के रहने वाले रक्षित से बातचीत की. रक्षित ने पीएम मोदी से कहा कि हमारी टीम ने किसानों को सशक्त बनाने के लिए एक ऐसी डिवाइस को विकसित किया है, जिसकी मदद से झींगा मछली का पालन करने में आसानी होगी. उन्होंने कहा कि इस डिवाइस की मदद से अंतरिक्ष से ही तालाब के पानी की क्वालिटी जांची जा सकती है. खास बात यह है कि इसमें पहले के मुकाबले 10 गुना कम खर्च होगा. यानी अब झींगा मछली का पालन शुरू करने से पहले किसान कम खर्चे में पानी की क्वालिटी की जांच कर पाएंगे. जबकि पीएम मोदी ने डिवाइस बनाने वाले युवाओं को सराहना की.

पीएम मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में जंगली जानवरों पर भी फोकस किया. उन्होंने कहा कि असम में तिनसुकिया जिले के छोटे से गांव बारेकुरी में, मोरान समुदाय के लोग रहते हैं. खास बात यह है कि इसी गांव में 'हूलॉक गिबन' नाम के बंदर भी रहते हैं. इन बंदरों को स्थानीय भाषा में 'होलो बंदर' कहा जाता है. पीएम मोदी के अनुसार हूलॉक गिबन्स ने इस गांव में ही अपना बसेरा बना लिया है. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इस गांव के लोगों का हूलॉक गिबन के साथ बहुत गहरा संबंध है. प्रधानमंत्री ने कहा कि गांव के लोग आज भी अपने पारंपरिक मूल्यों का पालन करते हैं. इसलिए उन्होंने वो सारे काम किए, जिससे गिबन्स के साथ उनके रिश्ते और मजबूत हों.

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3-D प्रिंटिंग तकनी से जंगली जानवरों की सुरक्षा

पीएम मोदी ने संबोधन के दौरान अरुणाचल प्रदेश का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि पशुओं के प्रति प्रेम में हमारे अरुणाचल प्रदेश के युवा साथी भी किसी से पीछे नहीं हैं. अरुणाचल में हमारे कुछ युवा-साथियों ने 3-D प्रिंटिंग तकनी का उपयोग करना शुरू किया है. क्योंकि वो, वन्य जीवों को सींगों और दांतों के लिए शिकार होने से बचाना चाहते हैं. नाबम बापू और लिखा नाना के नेतृत्व में ये टीम जानवरों के अलग-अलग हिस्सों की 3-D प्रिंटिंग करती है.

पर्यावरण को बढ़ावा देने वाले युवाओं की प्रशंसा

स्टार्टअप्स पर बात करते हुए पीएम ने कहा कि हमारे देश में कई सारी Start-Up टीम भी पर्यावरण को बढ़ावा देने के लिए बहुत प्रयास कर रही हैं. इनमें से ही Econscious नाम की एक टीम है, जो, प्लास्टिक वेस्ट का उपयोग इको फ्रेंडली प्रो़डक्ट्स बनाने में कर रही है.

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