महाराष्ट्र के संभाजीनगर से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है. खेत का पंचनामा करने आए अधिकारियों के सामने ही एक किसान ने कुएं में छलांग लगाकर अपनी जान दे दी. इस घटना से पूरे गांव में तनाव फैल गया है. दरअसल, महाराष्ट्र में लगातार हो रही भारी बारिश और बाढ़ जैसी परिस्थितियों ने किसानों की कमर तोड़ दी है. कई जिलों में खेत पानी में डूब गए, फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गई है और किसान आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं. ऐसे माहौल में किसानों की आत्महत्याओं का सिलसिला थम नहीं रहा है.
संभाजीनगर जिले के खादगांव में खेत का पंचनामा चल रहा था. इसी दौरान 45 वर्षीय किसान संजय शेषराव काकड़े ने अधिकारियों के सामने ही कुएं में छलांग लगा दी, जिसमें किसान की मौत हो गई. किसान के इस आत्महत्या वाली दर्दनाक घटना ने पूरे गांव को सदमे में डाल दिया है.
इस आत्महत्या के मामले पर किसान शेषराव काकड़े का भाई ने कहा कि दो दिन पहले नोटिस मिला था कि हमारे खेत से सड़क का काम रुका है, जब अधिकारी पंचनामा करने आए तो उन्होंने भाई को डांटा और कार्रवाई की बात कही. इसी से दुखी होकर भाई ने कुएं में छलांग लगा दी. बचाने की कोशिश की गई, लेकिन उन्हें नहीं बचाया जा सका.
किसान संजय शेषराव की पत्नी ने कहा कि जो मैडम पंचनामा करने आई थीं वो उनके पति को बातें सुना रही थीं, तभी उन्हें गुस्सा आ गया और उन्होंने कुएं में छलांग लगा दी. मेरे पति की मौत के लिए अधिकारी जिम्मेदार हैं. उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए.
जानकारी के मुताबिक, खादगांव से खर्डा तक बन रही सड़क के काम के दौरान उनके खेत के दोनों ओर गहरी खुदाई की गई थी. इससे खेत तक जाने का रास्ता बंद हो गया था और बारिश का पानी खेत में भर गया था, जिससे उनकी पूरी फसल बर्बाद हो गई थी. काकड़े इस समस्या को लेकर कई बार अधिकारियों से गुहार लगा चुके थे. लेकिन जब अधिकारी पंचनामा कर रहे थे और उन्होंने अपनी व्यथा बताई, तो अधिकारियों ने उन्हें उल्टा डांट दिया. इससे आहत होकर उन्होंने अचानक पास के कुएं की ओर दौड़ लगाई और उसमें कूद गए. ग्रामीणों ने बचाने की कोशिश की, लेकिन तब तक उनकी मौत हो चुकी थी.
शेषराव काकड़े की भतीजी ने बताया कि जो मैडम पंचनामा करने आई थीं उन्होंने हमारी बात नहीं सुनी, उल्टा कहा कि तुम लोग झूठ बोल रहे हो. गांव के कुछ लोग भी साथ थे, सबने चाचा को बातें सुनाएं. चाचा सह नहीं पाए और कुएं में कूद गए. अधिकारियों ने बचाने की कोशिश तक नहीं की. ऐसे में हम लोगों कि मांग है कि उन अधिकारियों पर कार्रवाई हो.
वहां के विधायक विलास भुमरे ने कहा कि संजय शेषराव काकड़े की मौत की खबर मिलते ही मैं उनके परिवार से मिलने आया हूं. सरकार का प्रतिनिधि होने के नाते इस परिवार को इंसाफ और आर्थिक मदद दिलाने की पूरी कोशिश करूंगा.
संभाजीनगर की इस घटना ने एक बार फिर किसानों की बदहाली और प्रशासन की संवेदनहीनता को उजागर कर दिया है. सवाल ये है कि क्या सरकार और अधिकारी अब जागेंगे और किसानों की व्यथा सुनेंगे, या फिर आत्महत्या का ये सिलसिला ऐसे ही जारी रहेगा. (इसरारुद्दीन चिश्ती की रिपोर्ट)