
महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्या रुकने का नाम नहीं ले रही है. मॉनसून सीजन के दौरान सितंबर महीने में हुई भारी बारिश और बाढ़ से मची तबाही ने हजारों-लाखों किसानों की कमर तोड़ दी है. भीषण बारिश और बाढ़ के विध्वंस से परेशान होकर कई किसान अतिवादी कदम उठा चुके हैं. अब राज्य के जालना जिले में एक परेशान किसान ने आत्महत्या कर ली. दरअसल, जिले के पाणंद में सड़क के गलत निर्माण कार्य के चलते बारिश का पानी खेतों में घुस गया, जिससे करीब साढ़े तीन एकड़ जमीन बह गई. इसी गहरी निराशा में एक 41 वर्षीय किसान रमेश शिंदे ने जहर पीकर आत्महत्या कर ली.
रमेश शिंदे ने इस सड़क के गलत काम के खिलाफ जालना जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को लिखित शिकायत दी थी. लेकिन, कोई कारवाई नहीं होने और फसल के साथ जमीन बह जाने के कारण उन्होंने यह कदम उठाया. ऐसा आरोप उनके पिता और रिश्तेदारों ने लगाया है.
घटना के बाद रमेश शिंदे का शव जालना जिला अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए लाया गया. मृतक के पिता ने प्रशासन से मांग की कि हस्ते पिंपलगांव-शेवगा पाणंद सड़क को नक्शे के अनुसार बनाया जाए और बह चुकी साढ़े तीन एकड़ जमीन और फसल का मुआवजा दिया जाए.
उन्होंने चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं तो वे भी आत्महत्या करेंगे और बेटे का शव अपने कब्जे में नहीं लेंगे. इस बीच, कदिम जालना पुलिस ने परिवार से बातचीत कर शव लेने की विनती की, लेकिन परिवार ने कहा कि जब तक मुआवजे का निर्णय नहीं होता, वे शव नहीं लेंगे. आखिरकार, प्रशासन द्वारा कारवाई का आश्वासन देने के बाद परिवार ने शव अपने कब्जे में लिया. इस समय मृतक के परिवार ने कहा, “हमें जल्द से जल्द न्याय मिलना चाहिए.”
वहीं, राज्य में किसानों कर्जमाफी को लेकर विवाद बना हुआ है. महायुति सरकार ने किसानों के लिए आंदोलन कर रहे नेताओं से मुलाकात कर 8 महीने का समय मांगा है. हाल ही में पूर्व मंत्री और प्रहार जनशक्ति पार्टी के नेता बच्चू कडू ने नागपुर में किसानों के साथ हाईवे जाम करते हुए आंदोलन किया था.
जिसके दबाव में सरकार झुकी और 30 जून 2026 तक कृषि लोनमाफी पर फैसला सुनाने की बात कही. वहीं, विपक्षी दल शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी (एसपी) ने इसे किसानों के साथ छल बताते हुए सरकार पर टालमटोल करने का आरोप लगाया
(गौरव विजय साली की रिपोर्ट)