
जयपुर में एक और किसान रैली की तैयारी पूरी हो चुकी है. दरअसल, जयपुर में 30 दिसंबर को होने वाली रैली की तैयारियां पूर्ण हो चुकी है, किसान प्रतिनिधि स्वयं के खर्चे से -रेल,बस, जीप, कार और दोपहिया वाहनों द्वारा पहुंचेंगे, भोजन भी स्वयं के खर्चे से करेंगे, यह रैली राजनीतिक रैलियों से अलग होगी. दरअसल, न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP घोषित होने के बाद भी किसानों को अपनी उपज बाजार में ओने-पोने दामों में बेचनी पड़ती है. सरकारी आयोग और समितियां के द्वारा अनुशंसा करने के बाद भी सरकार खरीद की गारंटी का कानून नहीं बना रही है. यह देश का सबसे ज्वलंत विषय है.
ग्राम आधारित अर्थ रचना और किसान केंद्र राजनीति के लिए खेत को पानी, फसल के दाम, युवाओं को काम की दिशा में सड़कों के स्थान पर सिंचाई परियोजनाओं को उच्च प्राथमिकता, किसानों को उनके उत्पादों के लिए वह न्यूनतम दाम जिन्हें सरकार समर्थन मूल्य के रूप में घोषित करती है, प्राकृतिक आपदाओं से फसलों में खराब होने पर जितनी क्षति उतनी भरपाई, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत जिन किसानों से प्रीमियम वसूला गया, उन्हें क्लेम का भुगतान, कृषि उपज मंडियों के अनुज्ञाधारी व्यापारी द्वारा खरीद का भुगतान नहीं कर चंपत हो जाने पर किसानों को मंडी कोष से भुगतान कर सरकार द्वारा व्यापारी से वसूली के संबंध में कानून बनाकर कार्रवाई करने करना प्रमुख विषय है.
इसके अलावा ग्राम उद्योगों के प्रोत्साहन की नीति के अनुसरण में प्रत्येक गांव को औद्योगिक क्षेत्र घोषित करने, भारतमाला परियोजना के अंतर्गत राजस्थान में प्रस्तावित नौ ग्रीन फील्ड एक्सप्रेसवे निरस्त करने, देश की खाद्य सुरक्षा के लिए सिंचित और दो फसलीय कृषि भूमियों के अधिग्रहण को रोकने, निराश्रित पशु और सूअर जैसे जंगली जानवरों से फसल आदि की रक्षा के उपाय करने, भूमि अधिग्रहण से विस्थापितों को कानून सम्मत उचित प्रतिकर, पुनर्वास और पुनर्व्यवस्थापन का यथाशीघ्र समुचित प्रबंध करने आदि प्रमुख हैं. इन विषयों पर 30 दिसंबर को जयपुर में अन्नदाता हुंकार रैली में प्रदेश के किसान जयपुर के 22 गोदाम के पास वाले मैदान में जुटेंगे.
इस रैली का नेतृत्व किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट करेंगे. यह जानकारी कार्यक्रम के संयोजक और किसान महापंचायत के युवा प्रदेश महामंत्री पिंटू यादव एडवोकेट ने दी. इस रैली का निर्णय 7 -8 जून 2025 को प्रदेश स्तरीय कार्यशाला में किया गया था. पहले इस रैली की तारीख 6 अक्टूबर निर्धारित थी. लेकिन सरकार द्वारा वार्ता आरंभ करने बाद भी सार्थक कार्यवाही नहीं करने पर 30 दिसंबर की तारीख निश्चित की गई.
अब तक प्रदेश के 29 जिलों में प्रवास किए गए. इस जागरण अभियान में पत्रकार वार्ताओं के अतिरिक्त 1084 ग्रामों में सभाओं का आयोजन किया गया, जिनमें 304 से अधिक स्थानों पर तहसील/विकासखंड स्तरीय बड़ी सभाओं का आयोजन किया गया. 15 से अधिक कार्यकर्ताओं ने तो पूर्णकालिक रहते हुए कार्य किया. भारतमाला परियोजना के अंतर्गत निर्माण होने वाले ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस वे के लिए कृषि भूमियों के अधिग्रहण के विरोध में 90 किलोमीटर चलकर 57 गांव में ‘तिरंगा चेतना यात्रा’ संपन्न हुई.