खनौरी बॉर्डर पर पिछले 17 दिन से आमरण अनशन कर रहे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का मामला आज सुप्रीम कोर्ट में सुना गया. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने किसान नेता डल्लेवाल के स्वास्थ्य पर चिंता जाहिर की, जो आमरण अनशन पर हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पंजाब और केंद्र का यह दायित्व है कि वे सभी शांतिपूर्ण उपाय करें. सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार और केंद्र से डल्लेवाल को मेडिकल सहायता देने को कहा और यदि आवश्यक हो तो उन्हें अस्पताल में भी भर्ती कराया जा सकता है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मानव जीवन आंदोलन से अधिक कीमती है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार को किसान को जबरन अनशन तोड़ने के लिए मजबूर नहीं करना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट से यह भी कहा किसानों से बातचीत जारी रखने और मुद्दों को सुलझाने के लिए समिति नियुक्त की गई. सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को फिर से मामले की सुनवाई करेगा.
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने केंद्र और पंजाब सरकार के प्रतिनिधियों को निर्देश दिया कि वे डल्लेवाल से तुरंत मिलें और उन्हें मेडिकल सहायता दिलाएं और उन्हें आमरण अनशन तोड़ने के लिए राजी करें. बेंच ने कहा कि डल्लेवाल का जीवन अनमोल है. बेंच ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और पंजाब के महाधिवक्ता गुरमिंदर सिंह से यह तय करने को कहा कि डल्लेवाल के आमरण अनशन को तोड़ने के लिए उनके खिलाफ कोई बल प्रयोग न किया जाए, जब तक कि उनकी जान बचाना जरूरी न हो.
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बेंच ने मेहता और सिंह से कहा, "आप दोनों इस मुद्दे पर तुरंत गौर करें और सुनिश्चित करें कि इसका समाधान हो." साथ ही बेंच ने सलाह दी कि अगर जरूरत पड़ी तो डल्लेवाल को तत्काल इलाज के लिए पीजीआई चंडीगढ़ या पास के पटियाला शहर में ट्रांसफर किया जा सकता है. बेंच ने आंदोलनकारी किसानों से गांधीवादी तरीके से विरोध प्रदर्शन करने और इसे अस्थायी रूप से रोकने या हाईवे से हटने को कहा.
किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल 26 नवंबर से पंजाब और हरियाणा के बीच खनौरी बॉर्डर पर आमरण अनशन पर हैं, ताकि केंद्र पर आंदोलनकारी किसानों की मांगों को मानने का दबाव बनाया जा सके, जिसमें फसलों पर एमएसपी की कानूनी गारंटी भी शामिल है.
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संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले किसान 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं, जब सुरक्षा बलों द्वारा दिल्ली की ओर उनके मार्च को रोक दिया गया था. इससे पहले गुरुवार को डल्लेवाल ने अपने खून से साइन किया एक पत्र पीएम मोदी के नाम जारी किया था. इसमें एमएसपी सहित कई मांगों की उन्हें याद दिलाई थी. पत्र में डल्लेवाल ने लिखा था कि सरकार या तो एमएसपी गारंटी कानून बनाए या उनकी बलि ले ले. (कनु शारदा का इनपुट)