किसान जब बुवाई करता है तो अपनी सारी लागत और किस्मत खुले आसमान के नीचे छोड़ देता है. मगर फिर कुदरत उसकी सारी उम्मीदें और फसल को पानी में डुबा देती है. ऐसे हालात में बेबस किसान के पास सिवाय सरकारी राहत के और कुछ नहीं बचता. मगर जिन लोगों से उम्मीद है कि वह किसानों के हित में फैसले लेंगे, अब वही किसानों को उनकी बेबसी की आदत डाल लेने की सलाह देते दिख रहे हैं. दरअसल, हाल ही में बीजेपी नेता और महाराष्ट्र कृषि मूल्य आयोग के अध्यक्ष पाशा पटेल ने एक विवादित बयान दिया है. उन्होंने कहा कि सरकार अत्यधिक वर्षा से हुए नुकसान की भरपाई किसानों को नहीं कर सकती और उन्हें ऐसी परेशानियों की आदत डाल लेनी चाहिए.
दरअसल, धाराशिव जिले में पत्रकारों से बात करते हुए बीजेपी नेता पाशा पटेल ने कहा कि मराठवाड़ा और अन्य जगहों पर भारी बारिश से प्रभावित किसानों को मुआवजा देना सरकार के लिए संभव नहीं है. पटेल ने कहा, "नुकसान इतना ज़्यादा है कि किसी भी अधिकारी के पास उसकी पूरी भरपाई करने की क्षमता नहीं है... सरकार सिर्फ़ सहायता देती है, जो नुकसान की भरपाई के लिए काफ़ी नहीं होती. किसानों को इस कठिनाई की आदत डालनी होगी; उन्हें अपनी किस्मत को सहना ही होगा"
उन्होंने कहा कि अत्यधिक वर्षा, सूखा, ओलावृष्टि और बाढ़ के रूप में प्रकृति की बढ़ती अनिश्चितताओं के कारण किसान तो साल के 365 दिनों में से 322 दिन संकट का सामना करते रहते हैं. पटेल ने कहा कि हमने प्रकृति को इतना नुकसान पहुंचाया है कि अब हम इसके परिणाम भुगतने के लिए मजबूर हैं."
भाजपा नेता के बयान पर किसान नेता राजू शेट्टी ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की और कहा कि कृषि वस्तुओं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने जैसी सरकार की किसान विरोधी नीतियां उनकी दुर्दशा के लिए जिम्मेदार हैं. पूर्व सांसद शेट्टी ने पाशा पटेल के बयान को अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. उन्होंने कहा कि पटेल किसानों से घाटे की आदत डालने का आग्रह करते हैं और उन्हें सरकार पर निर्भर न रहने की चेतावनी देते हैं. लेकिन यह सरकार का हस्तक्षेप ही है जो किसानों की प्रगति में बाधा डालता है, चाहे वह कीमतें बढ़ने पर निर्यात पर प्रतिबंध लगाना हो, करों में बढ़ोतरी करना हो या प्याज, कपास और चीनी जैसी वस्तुओं पर प्रतिबंध लगाना हो... मंदी के दौरान व्यापारी लाभ कमाते हैं, लेकिन जब किसानों को लाभ होता है, तो सरकार बाधाएं खड़ी कर देती है."
किसान नेता ने आगे पूछा कि अमेरिका के दबाव में कपास पर आयात शुल्क क्यों कम किया गया? भारी कर के कारण चीनी निर्यात मुश्किल क्यों हो गया है? शेट्टी ने कहा कि सरकार संकट के समय किसानों की मदद नहीं करती है और जब उनके पास लाभ कमाने का अवसर होता है तो वह उन्हें अवसर देने से इनकार कर देती है. उन्होंने अहिल्यानगर जिले के एक किसान की हाल ही में हुई आत्महत्या का भी ज़िक्र किया, जिसने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की नीतियों को दोषी ठहराते हुए एक नोट छोड़ा था. शेट्टी ने कहा, "राज्य को ऐसे बयान देने से पहले थोड़ी शर्म महसूस करनी चाहिए."
(सोर्स- PTI)
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