भारत सरकार ने भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) द्वारा प्रबंधित चावल के स्टॉक में टूटे हुए अनाज की हिस्सेदारी को मौजूदा 10 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत करने के उद्देश्य से एक पायलट परियोजना शुरू की है. इस परियोजना का लक्ष्य राशन की दुकानों के माध्यम से वितरित चावल की गुणवत्ता में सुधार करना है. यदि यह योजना सफल होती है, तो न केवल सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में लीकेज कम होगा, बल्कि इथेनॉल उत्पादन के लिए चावल की उपलब्धता भी बढ़ेगी और भंडारण लागत में कमी आएगी.
पायलट योजना के तहत, एफसीआई द्वारा प्रबंधित चावल में 15 प्रतिशत टूटे हुए चावल को अलग किया जाएगा, जिसे सीधे चावल मिलों से इथेनॉल बनाने के लिए डिस्टिलरी को बेचा जाएगा. इस योजना के सफल होने पर, सरकार ने 31 अक्टूबर 2025 तक इथेनॉल उत्पादन के लिए एफसीआई से 24 लाख टन चावल आवंटित करने का लक्ष्य रखा है.
भारत में चावल की आपूर्ति प्रणाली में टूटे हुए चावल का हिस्सा बहुत अधिक होता है, जो गुणवत्ता में कमी का कारण बनता है. इस योजना के तहत, एफसीआई चावल के स्टॉक से टूटे हुए चावल को अलग कर, केवल 10 प्रतिशत टूटे हुए चावल को राशन की दुकानों में वितरित करेगा. इसके परिणामस्वरूप राशन की दुकानों से मिलने वाले चावल की गुणवत्ता में सुधार होगा, जिससे गरीब और जरूरतमंद लोगों को बेहतर चावल मिल सकेगा.
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इस योजना का एक और महत्वपूर्ण लाभ यह होगा कि चावल से इथेनॉल उत्पादन में वृद्धि होगी. चावल के टूटे हुए हिस्से को इथेनॉल बनाने के लिए डिस्टिलरी को बेचा जाएगा, जिससे इथेनॉल उत्पादन में बढ़ोतरी होगी. सरकार ने इस योजना के तहत एफसीआई से 24 लाख टन चावल आवंटित किया है, जो इथेनॉल के उत्पादन में सहायक साबित होगा.
एफसीआई द्वारा चावल के टूटे हुए हिस्से को अलग करने से भंडारण लागत में भी कमी आएगी. टूटे हुए चावल की अलग से बिक्री होने से एफसीआई को अतिरिक्त लाभ होगा और उसे अधिक चावल रखने की आवश्यकता नहीं होगी, जिससे भंडारण लागत कम होगी.
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इस योजना से चावल के मूल्य में वृद्धि होने की संभावना है. एफसीआई द्वारा चावल की आपूर्ति को 25 प्रतिशत टूटे हुए चावल के साथ किया जाएगा, और इसके बाद मिलों से 100 प्रतिशत टूटे हुए चावल की आपूर्ति की जाएगी, जिससे बाजार में चावल के दाम में भी वृद्धि हो सकती है. इसके अलावा, चावल के टूटे हिस्से का निर्यात भी अब खोला गया है, जिससे उसकी कीमतों में और वृद्धि हो सकती है.
पायलट परियोजना के तहत, एफसीआई ने पंजाब, हरियाणा, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की कुछ मिलों को आदेश दिया है कि वे प्रत्येक राज्य में 10,000 टन धान से 15 प्रतिशत टूटे हुए चावल को अलग करें. यह 15 प्रतिशत टूटे हुए चावल सीधे डिस्टिलरी को बेचा जाएगा.
एफसीआई के अनुसार, 100 किलो धान से तैयार होने वाले 67 किलो चावल में से 25 किलो चावल टूटे हुए होते हैं, जिसे अब घटाकर 10 किलो किया जाएगा. इस बदलाव के बाद, मिलों से 69 लीटर टूटे हुए चावल डिस्टिलरी को बेचा जाएगा.