चंद्रयान-3 ने चांद पर पहुंचने के पांचवें दिन दूसरा ऑब्जर्वेशन भेजा. इसके जरिए ISRO ने पूरी दुनिया को एक बड़ी अच्छी खबर दी. इसके मुताबिक साउथ पोल जहां चंद्रयान ने लैंड किया वहां पर सल्फर, ऑक्सीजन, एल्यूमीनियम, कैल्शियम, आयरन, क्रोमियम, टाइटेनियम, सिलिकॉन और मैगनीज की मौजूदगी है. जबकि हाइड्रोजन की खोज अभी जारी है. चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव इसलिए भी बेहद अहम है, क्योंकि माना जाता है कि इस क्षेत्र में बर्फ मौजूद है. अब अगर ऑक्सीजन और बर्फ मौजूद है तो भविष्य में जीवन की बड़ी संभावना पैदा होती है. यही नहीं इंसानों के यहां बसने की उम्मीद भी जग सकती है.
यह हमारे लिए बेहद गर्व की बात है कि चंद्रमा पर इन चीजों के बारे में भारत ने पता लगाया है. प्रज्ञान रोवर पर लगे पेलोड ने ये खोज की है. इससे पहले रोवर ने चंद्रमा पर टेंपरेचर से जुड़ा एक ऑब्जर्वेशन भेजा था. सल्फर की मौजूदगी के जरिए चंद्रमा के फॉर्मेशन और इसके विकास के बारे में जानकारी मिल सकती है. जबकि सल्फर आमतौर पर ज्वालामुखी जैसी गतिविधियों से निकलता है इसलिए इसकी मौजूदगी से चंद्रमा के इतिहास और संरचना से जुड़ी जानकारी पता करने में सहायता मिलेगी.
चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अब तक कोई देश नहीं पहुंच पाया है, लेकिन भारत ने यह कामयाबी अपने नाम कर ली है. वहां पर पहुंचने का रिकॉर्ड बनाने के बाद मिशन चंद्रयान-3 के तहत भारत अब चांद के रहस्यों से परदा उठाने के काम में जुट गया है. लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान से लैस चंद्रयान-3 की चांद की सतह पर 23 अगस्त को सफल लैंडिंग हुई थी. अब इसके वैज्ञानिक परिणाम आने लगे हैं. ISRO ने कहा है कि चंद्रयान-3 के रोवर प्रज्ञान पर लगे एक उपकरण ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सतह में गंधक होने की पुष्टि की है. उपकरण ने ऑक्सीजन का भी पता लगाया है. इस बात का पता चलना अहम है.
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बंगलुरु स्थित इसरो मुख्यालय ने कहा कि 'उम्मीद के मुताबिक एल्युमीनियम, कैल्शियम, लौह, क्रोमियम, टाइटेनियम, मैंगनीज, सिलिकॉन और ऑक्सीजन का भी पता चला है. हाइड्रोजन की तलाश जारी है. अब इन चीजों का पता लगने के बाद यहां पर जीचन की संभावनाएं जग रही हैं. बता दें कि अपने पहले ही मिशन में भारत ने चांद पर पानी होने की बात बताई थी. वर्ष 2008 के 22 अक्टूबर को चांद पर भेजा गया पहला चंद्रयान 14 नवंबर को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, लेकिन तब तक उसने चांद की सतह पर पानी के अणुओं की मौजूदगी की पुष्टि कर दी थी. लेकिन, इस बार हमारे हाथ बड़ी सफलता लगी और अब इसके परिणाम सामने आने लगे हैं.
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