बंजर जमीन पर बिना कांटे वाले कैक्टस की खेती किसानों की आय बढ़ाएगी, झारखंड सरकार सीधे खरीद करेगी

बंजर जमीन पर बिना कांटे वाले कैक्टस की खेती किसानों की आय बढ़ाएगी, झारखंड सरकार सीधे खरीद करेगी

योजना के तहत अब किसान अपनी परंपरागत खेती बारी करते हुए कांटारहित कैक्टस की खेती कर पाएंगे. इसकी खेती के लिए किसान अपनी बंजर जमीनों का उपयोग कर सकते हैं. कैक्टस की खेती करना आसान होता है, इसके साथ ही इसकी खेती के जरिए लंबे समय पर अच्छी आय प्राप्त करने का एक बेहतर जरिया तैयार हो सकता है.

क‍िसान तक
  • Ranchi,
  • Feb 18, 2024,
  • Updated Feb 18, 2024, 2:54 PM IST

झारखंड में अब बंजर जमीन का उपयोग भी कृषि कार्यों के लिए किया जाएगा. झारखंड में अब बंजर जमीन पर कांटा रहित कैक्टस की खेती की जाएगी.इस दिशा में झारखंड में तेजी से प्रयास किया जा रहा है. राज्य में कांटा रहित कैक्टस की खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के वाटर शेड कोपोंनेंट (WDC-PMKSY) के तहत संचालित वाटर शेड परियोजनाओं में कांटारहित खेती को बढ़ाना देने के लिए यह किया जा रहा है. ग्रामीण विकास विभाग का उद्देश्य है कि कांटारिहत कैक्टस की खेती के जरिए ग्रामीण किसानों की आय  को बढ़ाने की दिशा में कार्य हो सकेगा. 

योजना के तहत अब किसान अपनी परंपरागत खेती बारी करते हुए कांटारहित कैक्टस की खेती कर पाएंगे. इसकी खेती के लिए किसान अपनी बंजर जमीनों का उपयोग कर सकते हैं. कैक्टस की खेती करना आसान होता है, इसके साथ ही इसकी खेती के जरिए लंबे समय पर अच्छी आय प्राप्त करने का एक बेहतर जरिया तैयार हो सकता है. झारखंड वाटरशेड मिशन के तहत कैक्टस की खेती के जरिए झारखंड की 68 फीसदी बंजर जमीन को फिर से खेती के लायक बनाया जाएगा. इससे किसानों की कमाई बढ़ेगी. 

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किसान देंगे जमीन, सरकार करेगी मदद

कैक्टस की खेती को राज्य में बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार की तरफ से किसानों को पूरी मदद की जाएगी. बस इसके लिए किसान को अपनी जमीन देनी होगी. किसान इसके लिए इन जमीनों का इस्तेमाल कर सकते हैं जहां पर सिंचाई की कोई व्यवस्था नहीं है, या फिर वो जमीन बंजर हो गई है. उस जमीन को किसान कैक्टस की खेती करने के लिए दे सकते हैं. सरकारी स्तर पर उस जमीन कैक्टस की खेती की जाएगी. खेती के लिए ग्रामीण विकास विभाग की तरफ से सभी प्रकार की व्यवस्थाएं की जाएंगी. जबकि कैक्टस की देख-रेख की जिम्मेदारी किसानों को संभालनी होगी.

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बाजार उपलब्ध कराएगी सरकार

गौरतलब है कि कैक्टस खेती के लिए सबसे कम पानी की जरूरत पड़ती है.बारिश की मौसम में इसे पानी मिलने के बाद इसे ना के बराबर सिंचाई की जरूरत होती है. इसलिए यह फायदेमंद होता है. कांटा रहित कैक्टस में कांटे नहीं होते हैं इसलिए रखरखाव में परेशानी नहीं होती है. इससे ऑर्गेनिक खाद के अलावा पशु चारा, खाद्य पदार्थ , बॉयो फ्यूल और कृत्रिम चमड़ा जैसी चीजें बनाई जाती हैं. इसके जरिए किसान बंजर जमीन से भी पैसे कमा सकते हैं. क्योंकि कैक्टस की खेती करने के बाद ग्रामीण विकास विभाग की तरफ से बाजार भी उपलब्ध कराया जाएगा.

 

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