वर्ल्ड कोऑपरेशन इकोनॉमिक फोरम (WCOOPEF), I-SEED IRMA (इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल मैनेजमेंट आनंद के लिए सोशल एंटरप्राइजेज और एंटरप्रेन्योर्स इनक्यूबेटर) और IIT हैदराबाद के टेक्नोलॉजी इनोवेशन हब ऑन ऑटोनॉमस नेविगेशन (TiHAN) ने मिलकर सहकारी क्षेत्र आधारित कृषि में डिजिटल क्रांति लाने के लिए एक नई पहल की घोषणा की है. यह पहल IoT-सक्षम डिजिटल फसल सर्वेक्षण और जियोस्पेशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने के लिए की गई है, और इसका उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय सहकारी वर्ष के उद्देश्यों को मजबूत करना, सहकारी आर्थिक विकास, सतत कृषि और ग्रामीण सशक्तिकरण को बढ़ावा देना है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के "सहकार से समृद्धि" (Sahkar Se Samridhi) के विजन के अनुरूप यह पहल किसान सहकारी समितियों, डेयरी यूनियनों, मत्स्य पालन संगठनों और ग्रामीण स्वयं सहायता समूहों (SHGs) को आधुनिक तकनीक से जोड़कर उनकी उत्पादकता और स्थिरता को सुधारने का काम करेगी.
WCOOPEF के अध्यक्ष दिलीप शंघानी के नेतृत्व में यह परियोजना AI-सक्षम जियोस्पेशियल डेटा, IoT आधारित फसल सर्वेक्षण और डिजिटल मैपिंग तकनीकों को अपनाएगी. इससे सहकारी समितियों में डेटा-आधारित निर्णय लेने की प्रक्रिया को बढ़ावा मिलेगा, जिससे किसानों को अधिक लाभ मिलेगा और उनकी कृषि प्रक्रिया में सुधार होगा.
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भारत की कृषि अर्थव्यवस्था में सहकारी समितियों का अहम योगदान रहा है. जियोस्पेशियल नवाचार और IoT-समर्थित डिजिटल फसल सर्वेक्षणों के माध्यम से हम सहकारी समितियों को प्रभावी और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बना रहे हैं. इस पहल से छोटे और सीमांत किसानों को सटीक कृषि और बाजार से सीधे जुड़ने के लाभ मिलेंगे, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'विकसित भारत' और 'सहकार से समृद्धि' के विजन के अनुरूप है.
बिनोद आनंद, WCOOPEF के संस्थापक अध्यक्ष और प्रधानमंत्री की उच्चाधिकार प्राप्त MSP समिति के सदस्य, ने इस पहल की महत्वता पर प्रकाश डाला. "सहकारी समितियों को तकनीक-सक्षम संस्थानों में बदलने की आवश्यकता है, ताकि हम किसानों के जीवन को बेहतर बना सकें. इस पहल के माध्यम से हम सहकारी क्षेत्र को डिजिटल रूप से सशक्त करेंगे, जिससे किसानों को अधिक लाभकारी और स्थायी समाधान मिलेंगे.
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इस पहल के तहत निम्नलिखित प्रमुख कार्यों पर ध्यान दिया जाएगा
यह पहल एक नवाचार-आधारित सहकारी आर्थिक ढांचे का निर्माण करेगी, जो उद्योग, अकादमिक और नीति निर्माताओं के सहयोग से कार्य करेगा.
यह पहल सहकारी समितियों को सशक्त बनाने, वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने और स्मार्ट कृषि पद्धतियों को अपनाने के लिए एक आदर्श मॉडल के रूप में कार्य करेगी. इस तकनीक-सक्षम सहकारी आर्थिक ढांचे के माध्यम से, भारत "विकसित भारत" के लक्ष्य को जल्द ही हासिल कर सकेगा.