नकली खाद, बीज, कीटनाशक और बायोस्टिमुलेंट्स पर हमलावर केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार को दिल्ली में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के स्थापना दिवस समारोह में किसानों से खास अपील की. चौहान ने किसानों को इस धोखाधड़ी की समस्या से निपटने के लिए एक हथियार थमा दिया है. उन्होंने किसानों से कहा कि अगर उन्हें कहीं भी नकली खाद या बीज की बिक्री आशंका हो तो वे बिना झिझके टोल फ्री नंबर 1800 180 1551 पर शिकायत दर्ज कराएं. चौहान ने सख्त लहजे में कहा, " मैं बेईमानों को छोड़ूंगा नहीं."
कृषि मंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि सरकार नकली कृषि उत्पादों बनाने-बेचने वाले लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई को लेकर काम कर रही है. इसके लिए सीड एक्ट और पेस्टिसाइड एक्ट बनाया जा रहा है, इस कानून में कड़ी सजा का प्रावधान रहेगा. उन्होंने बताया कि किसान कई बार शिकायत करते हैं कि उन्होंने बीज खरीदा लेकिन वो अंकुरित ही नहीं हुआ. ऐसे मामलों में कंपनियां जिम्मेदारी से बच निकलती हैं, लेकिन अब ऐसा नहीं चलेगा.
ICAR के स्थापना दिवस पर बोलते हुए कृषि मंत्री ने कृषि वैज्ञानिकों की भूमिका को आधुनिक महर्षि की उपमा दी और कहा कि अब रिसर्च पूसा में बैठकर नहीं, किसानों की जरूरतों के आधार पर की जाएगी. उन्होंने "वन टीम, वन टास्क" का मंत्र देते हुए कहा कि शोध अब डिमांड-ड्रिवन होगा. किसानों ने सुझाव दिए हैं कि खाद की पहचान के लिए ऐसी मशीन बननी चाहिए जो नकली और असली में फर्क कर सके, और यह मांग वाजिब है.
शिवराज सिंह ने यह भी बताया कि बायोस्टिम्यूलेन्ट बाजार में करीब 30 हजार से ज्यादा उत्पाद मौजूद हैं, लेकिन पहले तक उनकी प्रमाणिकता की कोई व्यवस्था नहीं थी. अब नियम तय कर दिए गए हैं कि इन्हें ICAR से प्रमाणित कराना अनिवार्य होगा. चौहान ने वैज्ञानिकों से इंटीग्रेटेड फार्मिंग पर काम करने की अपील की, जिससे एक ही जमीन पर पशुपालन, मछलीपालन, बांस मिशन जैसे काम हो सकें. साथ ही, किसानों की मांग पर ऐसी छोटी मशीनें बनाने की जरूरत बताई, जो सीमित जमीन पर भी कारगर हों. उन्होंने टमाटर की शेल्फ लाइफ बढ़ाने जैसे विषयों को भी प्राथमिकता देने की बात कही.
चौहान ने जानकारी दी कि बीते वर्षों में भारत में खाद्यान्न उत्पादन उल्लेखनीय रूप से बढ़ा है. उन्होंने बताया कि 2014 से 2025 तक औसतन 8.1 मिलियन टन प्रति वर्ष की दर से उत्पादन बढ़ा है. यह हरित क्रांति के दौर से भी ज्यादा है और यही नहीं, दूध उत्पादन 2014-25 के बीच 10.2 मिलियन टन प्रति वर्ष बढ़ा है, जो पिछली अवधि की तुलना में दोगुना से भी अधिक है. उन्होंने ICAR को इसके लिए श्रेय दिया और कहा कि आज हम अमेरिका के PL-480 के गेहूं पर निर्भर नहीं है, बल्कि अनाज का निर्यात कर रहे हैं. चावल रखने की जगह नहीं बची है."
कृषि मंत्री ने यह भी कहा कि केवल बीज बांटने से डायवर्सिफिकेशन (फसल विविधीकरण) नहीं होगा. इसके लिए ऐसी आयात-निर्यात नीति चाहिए जो किसानों को आर्थिक रूप से अधिक लाभ दे. उन्होंने वैज्ञानिकों से दलहन और तिलहन की प्रति हेक्टेयर उत्पादकता पर भी खास ध्यान देने को कहा. साथ ही उदाहरण भी दिया कि फ्रांस में गेहूं की उत्पादकता 68.8 क्विंटल/हेक्टेयर है, जबकि भारत अब भी 50 क्विंटल के करीब है.
कार्यक्रम के अंत में शिवराज सिंह चौहान ने वैज्ञानिकों से भावनात्मक अपील करते हुए कहा, "आप इसे टास्क न मानिए. वैज्ञानिक का जीवन यज्ञ है. वह अपने लिए नहीं, समाज के लिए जीता है. भारत सिर्फ अपना नहीं, पूरी दुनिया का सोचता है. इसलिए हमारे वैज्ञानिकों का टैलेंट मानवता के लिए है."
कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री भागीरथ चौधरी, कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी और ICAR के महानिदेशक डॉ. मांगीलाल जाट भी मौजूद थे. इस अवसर पर कई प्रगतिशील किसानों और वैज्ञानिकों को सम्मानित किया गया और नई तकनीकों और प्रकाशनों का विमोचन भी हुआ.