राजस्थान विधानसभा चुनाव में भले ही कांग्रेस पार्टी हार गई हो, लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जोधपुर के सरदारपुरा से चुनाव जीत गए हैं. उन्होंने बीजेपी के महेन्द्र राठौड़ को 26396 वोट से हराया है. राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 में सबसे चर्चित चेहरा प्रदेश के मुखिया अशोक गहलोत का है. गहलोत 2018 में राजस्थान के तीसरी बार मुख्यमंत्री बने थे. उन्हें उम्मीद है कि इस कार्यकाल में किए जनकल्याणकारी योजनाओं के दम पर वे अपनी सरकार एक बार फिर से बनाने में सफल हो जाएंगे. इससे पहले वे जोधपुर शहर से 5 बार के सांसद रह चुके हैं. पांच बार ही विधायकी जीत चुके हैं. उनके साथ-साथ राजनीति के सभी जानकारों को पूरा विश्वास है कि वे छठी बार भी जीत जाएंगे. अगर उनकी जीत कांग्रेस की जीत में बदलती है तो बहुत से राजनीतिक पंडितों को लगता है कि वे चौथी बार सीएम बनने की होड़ में सबसे आगे होंगे. 2018 से 2023 के कार्यकाल में उनकी सरकार अंदरूनी चुनौतियों से उलझती रही. इसमें सचिन पायलट का अपने समर्थक विधायकों के साथ जुलाई 2020 में मानेसर चले जाना भी शामिल है. हालांकि इसके बाद भी गहलोत अपने बयानों के जरिए उन अनिश्चितताओं के बारे में सरकार की मुश्किलों को बयां करते रहे हैं.
अशोक गहलोत का जन्म तीन मई 1951 को राजस्थान के जोधपुर शहर में हुआ था. वह 1974 में एनएसयूआई में शामिल हो गए और जल्द ही राजस्थान विंग के अध्यक्ष बन गए. 1980 में पहली बार जोधपुर से सांसद बने. गहलोत के पिता एक जादूगर थे और प्रदेशभर में जादूगरी दिखाते थे. वह भी अपने पिता के साथ स्टेज पर जादूगरी दिखाने लगे. इस वजह से उन्हें जादूगर कहा जाने लगा. यह टैग गहलोत से साथ आज भी चिपका हुआ है.
ये भी पढे़ं- Rajasthan: विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी चुनाव हारे, 2008 में एक वोट से हारे थे जोशी
1980 में सांसद बनने के बाद गहलोत ने जोधपुर सीट से 1984 में भी चुनाव जीता. इसके बाद 10वीं लोकसभा यानी 1991-96 में भी गहलोत ने जोधपुर सीट से चुनाव जीतकर लोकसभा में कदम रखा. वह 11वीं लोकसभा (1996-98) और 12वीं लोकसभा (1998-1999) चुनाव में भी जीत हासिल करने में कामयाब रहे. इसी दौरान 1998 में कांग्रेस ने उन्हें राजस्थान का मुख्यमंत्री घोषित कर दिया. मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्हें विधानसभा का उप-चुनाव लड़ना था.
इसके लिए उन्होंने अपने गृह जिले की सरदारपुरा सीट सबसे सुरक्षित लगी. गहलोत ने इसके लिए इसी क्षेत्र से तीन बार के विधायक मानसिंह देवड़ा को इस्तीफा देने के लिए मना लिया. या यूं भी कह सकते हैं कि देवड़ा ने इस्तीफा देकर गहलोत का रास्ता साफ कर दिया. बाद में चुनाव जीतने के बाद गहलोत ने देवड़ा को राजस्थान हाउसिंग बोर्ड का चेयरमैन बनाया और कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया.
ये भी पढ़ें- Rajasthan: 53 हजार वोटों से जीतीं वसुंधरा राजे सिंधिया, क्या तीसरी बार बनेंगी CM?
इन चुनावों में भाजपा ने गहलोत से सामने डॉक्टर महेंद्र सिंह राठौड़ को मैदान में उतारा है. अशोक गहलोत ने अपने हलफनामे में दावा किया है कि उनके पास कुल 11,68,98,758 रुपये की संपत्ति है. जिसमें वो करीब 10 करोड़ रुपये की संपत्ति के मालिक हैं. हलफनामे के अनुसार उनके पास कोई गाड़ी नहीं है. जबकि 2018 के विधानसभा चुनाव में दाखिल हलफनामे में गहलोत ने 6.53 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति बताई थी. 2013 में उनके पास 1.69 करोड़ रुपये की संपत्ति थी. मुख्यमंत्री गहलोत ने अपने हलफनामे में बताया कि उनके बैंक खाते में 1.93 करोड़ रुपए हैं जबकि उनकी पत्नी के नाम पर बैंक खाते में 65 लाख रुपए हैं. उनकी पत्नी के पास 23.75 ग्राम तोला सोना के अलावा 900 ग्राम चांदी भी है.