गहलोत सरकार में विधानसभा अध्यक्ष और नाथद्वारा से चुनाव लड़ रहे सीपी जोशी चुनाव हार गए हैं. उन्हें भारतीय जनता पार्टी के विश्वराज सिंह मेवाड़ ने हराया है. जोशी राजस्थान में कांग्रेस का एक बड़ा ब्राह्मण चेहरा हैं. मेवाड़ में भी जोशी कांग्रेस का बड़ा चेहरा हैं, लेकिन यह चुनाव वे हार चुके हैं.
एक वोट की कीमत क्या होती है? इस सवाल का सबसे अच्छा जवाब अगर होगा तो वो है सी.पी जोशी! 2008 के विधानसभा चुनावों में जब जनता ने वसुंधरा राजे सरकार को हरा दिया तब पीसीसी चीफ और कांग्रेस के बड़े नेता सीपी जोशी मुख्यमंत्री बनने की दौड़ में सबसे आगे थे. लेकिन तभी मेवाड़ से एक सनसनी फैला देने वाली खबर आती है कि सीपी जोशी चुनाव हार गए हैं. वो भी महज एक वोट से. बाजी पलट गई. एक बार फिर से कांग्रेस आलाकमान ने गहलोत पर भरोसा जताया और उन्हें मुख्यमंत्री बना दिया. जोशी तब से सीएम की कुर्सी के लिए हमेशा के लिए अनफिट से हो गए. एक वोट से हार जाने के बाद एक बार जोशी ने कहा था कि उनकी पत्नी और बेटी मंदिर जाने की वजह से वोट नहीं डाल पाई थीं. इस हार से सीपी जोशी इतने आहत हुए कि उन्होंने हार के एक घंटे बाद ही राजनीति से संन्यास लेने का फैसला कर लिया. हालांकि बाद में वो एक बार फिर सियासत में लौटे और केंद्र की मनमोहन सिंह सरकार में केंद्रीय मंत्री बने. फिलहाल जोशी नाथद्वारा से विधायक हैं और एक बार फिर वहीं से चुनाव लड़ रहे हैं. भाजपा ने यहां से विश्वराज सिंह मेवाड़ को जोशी के सामने उतारा है.
राजस्थान कांग्रेस की राजनीति में डॉक्टर सीपी जोशी प्रभावशाली नेता रहे हैं. वे पहली बार अशोक गहलोत सरकार में 1998 में कैबिनेट मंत्री बने. डॉ. जोशी का पूरा नाम चंद्र प्रकाश जोशी है. जोशी का सियासी ग्राफ काफी उतार-चढ़ाव वाला भी रहा है. साल 2008 के विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद सीपी जोशी सीएम की रेस से बाहर हो गए थे. उन्होंने कई मौकों पर बताया है कि वे संन्यास लेने की तैयारी में थे लेकिन 2009 के पार्टी ने उन्हें भीलवाड़ा से लोकसभा का टिकट दे दिया और वे जीते. मई 2009 में उन्हें यूपीए सरकार में मंत्री के तौर पर शामिल किया गया.
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उन्हें ग्रामीण विकास और पंचायतीराज मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार दिया गया. 2011 में उन्हें प्रमोट कर कैबिनेट मंत्री बनाया गया. सड़क परिवहन, रेलवे जैसे मंत्रालय जोशी को सौंपे गए. यूपीए सरकार जाने के बाद जोशी को पूर्वोत्तर के कई राज्यों का प्रभारी बनाया गया, लेकिन जोशी किसी भी राज्य में कांग्रेस को जीत नहीं दिला सके.
हर राज्य में कांग्रेस को करारी हार मिली. माना जाता है कि इससे कांग्रेस आलाकमान जोशी से नाराज हो गया. उन्हें संगठन से बाहर का रास्ता दिखा गया गया. जोशी 2017-2018 में बेहद कमजोर पड़ गए थे. सीपी जोशी सीएम अशोक गहलोत के करीबी हैं. अपने करियर के सबसे कमजोर दिनों में अशोक गहलोत के करीब जाना उन्हें फायदा कर गया. गहलोत से नजदीकी बढ़ते ही उन्हें राजस्थान विधानसभा में स्पीकर बना दिया गया.
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सीपी जोशी का जन्म राजसमंद जिले के कुंवरिया में हुआ. उनकी राजनीति में एंट्री छात्र राजनीति से हुई. जोशी उदयपुर के मोहन लाल सुखाड़िया यूनिवर्सिटी में छात्र संघ अध्यक्ष चुने गए थे. साल 1975 में जोशी यूनिवर्सिटी में साइकोलॉजी के शिक्षक बन गए. साल 1980 में जोशी को पहली बार चुनाव लड़ने का मौका मिला. सिर्फ 29 साल की उम्र में वो विधायक बन गए थे. इसके बाद साल 1985 में भी विधायक बने. उसके बाद से ही उनका सियासी सफर जारी है.
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