देश में इस बार सर्दी और गर्मी दोनों ही लुका छिपी का खेल खेल रहे हैं. देश के कई हिस्सों में अधिकतम तापमान में बढ़ोतरी के बाद बारिश हो जा रही है इसके कारण फिर ठंड वापस आ जा रही है. वहीं इस बार पहाड़ों में बर्फबारी की शुरुआत काफी देर से हुई, पर फिर भी जबरदस्त बर्फबारी हुई है. पश्चिमी हिमालय के क्षेत्र में एक के एक लगातार पश्चिमी विक्षोभ का असर देखा देखा जा रहा है जो किसी आश्चर्य से कम नहीं है. क्योंकि इस इस इलाके में फरवरी महीने से बार-बार होनेवाली बर्फबारी और हाल ही में हुई जबरदस्त ओलावृष्टि ने मौसम के मिजाज को बदल कर रख दिया है. हवा में मौजूद ठंडक के साथ बर्फ से ढंकी पहाड़ों की तरफ से आने वाली सर्द और सूखी हवाओं का असर इस सप्ताह मैदानी इलाकों में भी दिखाई दे रहा है.
पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान और उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में न्यूनतम तापमान में काफी बड़ी गिरावट देखी जा रही है. इसके साथ ही दिन के अधिकतम तापमान में में 2-4 डिग्री सेल्सियस की कमी देखी जा रही है. इस वर्ष उत्तर भारत का अप्रत्याशित मौसम पैटर्न अल-नीनो सर्दी से ला-नीना की ओर मौसम के संक्रमण का असर मालूम पड़ता है. पूर्वानुमानों में तो यहां तक कहा गया है कि दिल्ली और एनसीआर जैसे शहरी क्षेत्रों में तापमान 6-10 डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता है, जबकि पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और चंडीगढ़ के ग्रामीण और कम शहर वाले क्षेत्रों में तापमान 3 से 8 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाएगा. इसके असर से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हिस्से भी प्रभावित होंगे, जहां तापमान 5-11 डिग्री सेल्सियस तक घटने की उम्मीद है.
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मार्च महीने में पड़ रही अप्रत्याशित सर्दियों की ठंड चूरू, सीकर और फ़तेहपुर शेखावाटी जैसे आमतौर पर ठंड से ज़्यादा प्रभावित रहने वाले इलाकों में ठंड की वापसी का रास्ता खोल सकती है. यहां पूरे सप्ताह दिन का अधितकम तापमान 23-26 डिग्री सेल्सियस तक ही सीमित रहने की संभावना है. शुष्क और ठंडी हवाओं की यह लहर पहले से ही मैदानी इलाकोंमें फैल रही है. इसलिए जल्द ही तापमान में और गिरावट आने की भविष्यवाणी की गई है. इन भागों में कई क्षेत्र अभी भी सूखे मौसम की स्थिति का सामना कर रहे हैं.
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मार्च के महीने में जिस तरह से ठंड लुका-छिपी का खेल खेल रही है उससे यह पता चल रहा है कि किस तरह से जलवायु परिवर्तन हो रहा है और हम इसका सामना कर रहे हैं. मौसम में हो रहे इस परिवर्तन को अल-नीनो से अल-नीना के बीच हो रहे बदलाव के आहट के तौर पर देखा जा सकता है. क्योंकि इस बार पहाड़ों में लगभग एक महीने की देरी से ही सही पर भारी बर्फबारी हुई, और मौसम में महत्वपूर्ण बदलाव दिखाई जे रहे हैं. जो बेहद चौंकाने वाले हैं.