कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्यसभा में बजट चर्चा में हिस्सा लिया. इस दौरान कृषि बजट को लेकर हो-हंगामे का दौर चला. कांग्रेस सहित विपक्ष के सदस्यों ने कृषि मंत्री से न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी कि MSP के मुद्दे पर सरकार को घेरना शुरू किया. विपक्ष ने कृषि मंत्री से एमएसपी पर ब्योरा मांगा और पूछा कि मौजूदा सरकार एमएसपी को कब कानूनी गारंटी देगी. इस पर कृषि मंत्री ने कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि जब उनकी सरकार थी तो एमएसपी की कानूनी वैधता का विरोध किया गया. इतना ही नहीं, पहले के समय में किसानों को एमएसपी कम मिलती थी जबकि मौजूदा सरकार में यह अधिक है.
शिवराज सिंह चौहान ने कहा, स्वामीनाथ कमेटी की रिपोर्ट में जब ये कहा गया कि लागत पर 50 परसेंट मुनाफा देकर समर्थन मूल्य घोषित करना चाहिए तब यूपीए सरकार में जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे, तब उत्पादन की भारित लागत से औसत 50 परसेंट से अधिक खरीद की सिफारिश पर यूपीए ने इसे स्वीकार नहीं किया. सरकार ने तब कहा कि सीएसीपी के प्रासंगिक कारकों पर विचार करते हुए एक वस्तुनिष्ठ मानदंड के रूप में एमएसपी की सिफारिश की गई है, इसलिए लागत पर कम से कम 50 परसेंट की वृद्धि करना बाजार को विकृत कर सकता है.
शिवराज सिंह ने कहा कि कांग्रेस ने स्वामीनाथ आयोग की सिफारिशों को मानने से इनकार कर दिया.उस वक्त कृषि मंत्री कांतिलाल भूरिया ने कहा कि इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता. कृषि मंत्री ने शरद पवार जो उस सरकार में मंत्री थे, के एक बयान को भी कोट किया और कहा, सरकार ने सीएसीपी की सिफारिशों के आधार पर एमएसपी तय करती है, इसलिए पहचानने की आवश्यकता है कि उत्पादन लागत और एमएसपी के बीच कोई आंतरिक संबंध नहीं हो सकता. तब शरद पवार ने एमएसपी देने से इनकार कर दिया.
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तत्कालीन मंत्री केवी थॉमस का बयान सुनाते हुए शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि एमएसपी को स्वीकार नहीं किया सकता क्योंकि एमएसपी की सिफारिश कृषि लागत और मूल्य आयोग द्वारा वस्तुनिष्ठ मानदंडों के आधार पर प्रासंगिक कारकों की व्यवस्था पर विचार करते हुए की जाती है. कृषि मंत्री ने कहा कि ये कैबिनेट नोट उस वक्त की कांग्रेस सरकार का है जिसमें एमएसपी से इनकार किया गया है. मंत्री ने कहा, एमएसपी को उत्पादन की भारित औसत लागत से 50 परसेंट तय करने की सिफारिश पर यूपीए सरकार ने कैबिनेट में यह कहते हुए स्वीकार नहीं किया कि सीएसीपी द्वारा प्रासंगिक कारकों की व्यवस्था पर विचार करते हुए वस्तुनिष्ठ मानदंड के रूप में एमएसपी की सिफारिश की गई है, इसलिए लागत पर कम से कम 50 परसेंट की वृद्धि निर्धारित करना बाजार को विकृत कर सकता है.
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि ये (कांग्रेस और विपक्ष) किसान के नाम पर केवल राजनीति करना चाहते हैं. ये देश को अराजकता में झोंकना चाहते हैं. लेकिन मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ कृषि मंत्री के रूप में कहता हूं कि प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में खेती को लाभ का धंधा बनाने में और किसानों की आमदनी दोगुनी करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे. हम दिन और रात काम करेंगे, कई फैसले लिए हैं और आगे भी किसान हितैषी फैसले लिए जाते रहेंगे.
दरअसल, कांग्रेस सहित विपक्ष इस बात पर अड़ा है कि सरकार एमएसपी को कानूनी गारंटी दे. लेकिन सरकार ने कुछ फसलों की निश्चित खरीद की बात कही है. हाल के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को सीटें कम आई हैं जिसके पीछे किसानों की नाराजगी बताई जा रही है. किसानों का दल दो दिन पहले संसद में राहुल गांधी से मिला था जिस पर राहुल गांधी ने एमएसपी की गारंटी दिलाने का वादा किया था. इसी बात पर सरकार विरोध कर रही है कि जब कांग्रेस सरकार में थी तो एमएसपी को कानूनी दर्जा नहीं दिया, यहां तक कि फसलों का वाजिब दाम नहीं दिया गया, लेकिन आज विपक्ष में बैठकर वह राजनीति कर रही है.