महाराष्ट्र के बीड में बढ़ी सोयाबीन किसानों की चिंता, बारिश के कारण बर्बाद हुई फसल

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महाराष्ट्र के बीड में बढ़ी सोयाबीन किसानों की चिंता, बारिश के कारण बर्बाद हुई फसल

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महाराष्ट्र के बीड जिले की पहचान सूखाग्रस्त जिले तौर पर होती है. यहां के किसानों को हमेशा कि मौसम की बेरूखी का सामना करन पड़ता है. कभी अधिक बारिश से फसलों को नुकसान हो जाता है तो कभी सूखे के कारण किसानों को नुकसान झेलना पड़ता है. हालांकि सरकार की तरफ से किसानों की परेशानी को कम करने के लिए बीमा योजना का लाभ दिया जाता है.

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पर बीड जिले में कई ऐसे भी किसान हैं जिन तक यह लाभ नहीं पहुंच पाता है. जिन किसानों को मुआवजा नहीं मिल पात है उन्हें आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इसके चलते कई किसान आत्महत्या भी कर लेते हैं. बता दें कि मराठवाड़ा में सबसे अधिक किसान आत्महत्या के मामले बीड जिले के ही आते हैं. हालांकि इस साल की शुरुआत से ही बीड जिले में लगातार बारिश हो रही है. इसके कारण सोयाबीन की खेती करने वाले किसानों को नुकसान का सामना करना पड़ा है.

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बारिश के कारण सोयाबीन के पौधे पीले पड़ रहे हैं और उनमें लार्वा विकसित हो गया है. खेतों में जलजमाव होने के कारण कई जगहों पर सोयाबीन  के पौधे भी मरने लगे हैं. जिले में 7 लाख 85 हजार 786 हेक्टेयर में खरीफ फसलों की खेती की जाती है. इस साल यहां के किसानों ने 3 लाख 55 हजार 494 हेक्टेयर में कपास की खेती की है. जबकि 2 लाख 26 हजार 234 हेक्टेयर में सोयाबीन की खेती की है. पर इस साल जिलें में कई स्थानों पर भारी बारिश हुई इसके कारण फसलों को काफी नुकसान हुआ है.

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बीड जिले के माजरा पट्टे इलाके के किसान धनंजय मुंडे ने बताया कि पिछले वर्ष कम बारिश होने के कारण इस साल यहां के किसानों ने सात हजार हेक्टेयर में सोयाबीन की खेती की थी, लेकिन खरीफ की शुरूआत से ही लगातार हो रही बारिश के कारण इलाके के कई खेतों में सोयाबीन की फसल को नुकसान हुआ है और लगभग तीन हजार हेक्टेयर की खेती पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी है. उन्होंने कहा कि इससे किसानों को काफी नुकसान हुआ है. इसलिए जल्द से जल्द पंचनामा कराकर किसानों को मुआवजा देने की पहल शुरू करनी चाहिए. 

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वहीं देवला गांव के किसान रविन्द्र देवरवाड़े ने आज तत से बात करते हुए कहा कि लगातार बारिश होने के कारण यहां खेतों में फसल बर्बाद हो रही है. जो फसल खेत में बची हुई है, उनपर कीटों का अटैक हो रहा है. ओलावृष्टि के कारण 700-800 हेक्टेयर क्षेत्र मे फसल खराब हुई है. उन्होंने कहा कि पिछली बीमा राशि भी किसानों को नहीं मिली है.  गांव के सिर्फ 120 किसानों के खाते में बीमा के पैसे आए हैं पर बैंक की तरफ से उसे भी होल्ड पर रखा गया है.

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भरत खामकर ने कहा कि 700 हेक्टेयर में फसलों को भारी बारिश से नुकसान हुआ है. भारी बारिश के कारण सोयाबीन की बुवाई पर असर पड़ा है. उसके बाद किसानों से फिर से सोयाबीन की बुवाई की पर बारिश के कारण वह भी बर्बाद हो गई. इसके बाद जब किसानों के तीसरी बार सोयाबीन की बुवाई की तो पौधे थोड़े बड़े तो हुए पर फिर बारिश से उन्हे भी नुकसान हुआ है. 

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भरत खामकर ने कहा कि किसानों ने कृषि विभाग से निवेदन किया है कि जल्द ही उनके फसलों का पंचनामा कर उन्हें मुआवजा दिया जाए. साथ ही उन्होंने कहा कि उन्हें अभी तक प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ नहीं मिला है. पिछले साल की भी बीमा राशि उन्हें नहीं मिली है. लगातार बीमा राशि का नहीं मिलना और फिर इस बीच फसलों के बर्बाद होने से किसानों की स्थिति खराब हो गई है.

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