महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले के किसान जहां एक तरफ गंभीर सूखे का सामना कर रहे हैं वहां दूसरी तरफ लगातार सूखे के कारण वो पानी कि किल्लत से जूझ रहे हैं. कई जिलों के लोग बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं. अधिकांश गांवों के कुएं और तालाब जैसे पारंपरिक जल के स्त्रोत सूख चुके हैं.
लोगों को खुद के पीने के लिए पानी की व्यवस्था करने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है ऐसे में उन्हें जानवरों के लिए पानी की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है. पानी की कमी के साथ-साथ पशुओं के लिए चारे की भी कमी का सामना करना पड़ रहा है. इसके कारण कई किसान ऐसे हैं जो अपने मवेशियों को बेच दे रहे हैं.
नांदेड़ जिले के कुछ तहसील में सूखे का संकट गहराता जा रहा है. नांदेड़ के लोहा तहसील में किसान इस समय अपने पशुओं को बेचने के लिए बाजार ला रहे हैं. किसानों का कहना है कि चारा और पाणी न होने के कारण जानवर बाज़ार में बेचने जा रहे हैं. सूखे की कारण उत्पन्न हुए इस परेशानी का लाभ व्यापारी भी उठा रहे हैं.
पशु बाजार में व्यापारी औने-पौने दामों पर किसानों से मवेशियों को खरीद रहे हैं. जिले के जो भी जल के स्त्रोत हैं वो सूख चुके हैं. कुएं में पानी का स्तर बेहद नीचे जा चुका है. लोहा तहसील में पानी की सबसे अधिक किल्लत महसूस की जा रही है. यहां के हर्बल गांव की आबादी 4000 से ऊपर है.
एक स्थानीय ग्रामीण ने बताया कि यहां पर चार किलोमीटर दूर से पाइप लाइन के जरिए पानी लाकर कुएं में डालना पड़ता है. यहां तक कि हर्बल गांव के ग्रामीणों को वह दूषित पानी भी पीना पड़ता है. ताईबाई टांडा में भी पानी से मुश्किले बढ़ गई है. लगभग 400 की आबादीवाला यह गांव पानी के लिए एक बोरवेल पर निर्भर है.
इसके अलावा और कहीं पर पानी नहीं मिलता रहा है. पानी लाने के लिए यहां के ग्रामीणों को चार किलोमीटर दूर जाना पड़ता है. पानी की कमी के बावजूद प्रशासन ने टैंकर से पानी देना अब तक शुरू नहीं किया. पानी की कमी के कारण लोग जिला प्रशासन से टैंकर शुरू करने गुहार लगा रहे हैं.
नांदेड़ जिले के कुछ तहसीलों में पानी की कमी के साथ-साथ पशुओं के चारे और पानी की समस्या भी गंभीर हो गई है. नांदेड़ के लोहा में पशुधन बाजार लगता है. बाजार में अपने मवेशियों को लेकर बेचने आए किसानों ने अपना दर्द बताते हुए कहा कि वो अपने मवेशियों को बेचना नहीं चाहते हैं पर सूखे की मार और पानी की किल्लत के काऱण अपने मवेशियों को मजबूरी में बेचने के लिए आए हैं.
हालांकि बाजार में मवेशियों की जो कीमत उन्हें मिलनी चाहिए वह नहीं मिल पा रही हे. किसानों का कहना है कि मजबूरी में वो कम दामों में अपने मवेशियों को बेच रहे हैं. वही बाजार के व्यापारी भी इस सूखे की आपदा में अवसर की तलाश कर रहे हैं और किसानों से कम कीमत पर मवेशियों को खरीद रहे हैं. (कुअरचंद मांडले की रिपोर्ट)