बारिश का मौसम पशुओं के लिए तमाम तरह की परेशानियां लेकर आता है. इस मौसम के चलते पशु ही नहीं पशुपालक यानि किसान भी खासे परेशान रहते हैं. कई बार तो जरा सी लापरवाही के चलते किसानों को अपने पशु से भी हाथ धोना पड़ता है. एनीमल एक्सपर्ट की मानें तो पशुओं को सबसे ज्यादा बीमारी भी इस मौसम में होती है. हालांकि किसानों को इस नुकसान से बचाने के लिए सरकार कई तरह की योजनाएं भी चला रही है. अगर ऐसी ही तीन योजनाओं का फायदा किसान भाई-बहिन उठा लें तो मानसून के दौरान पशु किसान को 100 फीसद मुनाफा कराएंगे.
इसके लिए जनजागरुकता कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं. गांव और कस्बों के पशु अस्पताल में भी ये सभी सुविधाएं मौजूद हैं. हालांकि पशुपालन विभाग के अफसर और एनीमल एक्सपर्ट का कहना है कि कुछ गलतफहमियों के चलते पशुपालक योजनाओं का फायदा नहीं उठाते हैं.
ये भी पढ़ें- Kangra Tea: यहां लगे हैं 150 साल पुराने चाय के पौधे, अरब-यूरोप देशों को होती है एक्सपोर्ट, जानें डिटेल
हरियाणा के पशु अस्पताल में तैनात डॉ. जयदीप यादव ने किसान तक को बताया कि बरसात के मौसम में ही पशुओं को कई तरह की बीमारी होती हैं. दूषित चारा खाने से, दूषित पानी पीने से भी पशु बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं. खुरपका-मुंहपका, थनेला समेत और तमाम बीमारियां भी इस मौसम में पशुओं को अपने चपेट में ले लेती हैं. लेकिन समय-समय पर पशुओं को लगने वाले टीके हम अपने पशुओं को लगवाते रहेंगे तो पशु बीमारी की चपेट में नहीं आएंगे.
दूध के संबंध में हकीकत तो ये है कि जब हमारा पशु कई तरह की बीमारियों से ग्रसित होगा तो उसका दूध उत्पादन घटेगा ही घटेगा. और टीकाकरण से पशु बीमारी से बचकर स्वस्थ रहता है. और हम अच्छी तरह से जानते हैं कि जब पशु पूरी तरह ठीक होता है तो वो दूध भी खूब देता है. फिर वो चाहें भेड़-बकरी हो या फिर गाय-भैंस.
ये भी पढ़ें- लद्दाख में खुली फूलों की पहली दुकान, जानें बर्फ में कैसे शुरू हुई बागवानी
हरियाणा के पशुपालन विभाग में डिप्टी डायरेक्टर डॉ. पुनीता गहलावत ने किसान तक को बताया कि पशुओं के कान में लगने वाले टैग को लेकर कई तरह की गलतफहमी हैं. जैसे अगर कान में टैग लगा है तो इसका मतलब पशु बैंक लोन की रकम से खरीदा गया है. यही वजह है कि आज भी बहुत सारे लोग पशुओं में ईयर टैगिंग कराने से कतराते हैं.
जबकि इसे लगवाने के बाद चोरी होने पर आप अपने पशु को देश के किसी भी कोने से तलाश कर ला सकते हैं. क्योंकि टैगिंग होने के बाद आपके पशु का आधार कार्ड जैसा नंबर तैयार हो जाता है. उस नंबर से पशु को सभी तरह की योजनाओं का फायदा भी मिलता है. साथ ही अगर आपका पशु किसी कारणवश मर जाता है तो बीमा की रकम मिलने में भी आसानी रहती है.