सर्दी का मौसम कई मायनों में पोल्ट्री फार्मर के लिए जोखिम भरा होता है. थोड़ी सी भी लापरवाही लाखों का नुकसान करा सकती है. इस मौसम में मुर्गियों को ठंड से बचाना भी बहुत जरूरी होता है. अगर मुर्गियां जरा भी ठंड की चपेट में आ गईं तो मरना शुरू हो जाती हैं. पोल्ट्री फार्म को गर्म रखने के लिए कई तरीके अपनाए जाते हैं. लेकिन पोल्ट्री एक्सपर्ट की मानें तो अब से लेकर फरवरी तक का वक्त मुर्गियों के लिए और भी खतरनाक है. ना सिर्फ मुर्गी बल्कि पोल्ट्री में आने वाले पक्षी जैसे बतख, बटेर, टर्की बर्ड आदि के लिए भी.
दूसरे देशों से आने वालीं माइग्रेट बर्ड पोल्ट्री बर्ड की सबसे बड़ी दुश्मन होती हैं. सेंट्रल एवियन रिसर्च इंस्टीयट्यूट, बरेली के डॉयरेक्टर की मानें तो कुछ खास पांच बातें ऐसी हैं जिन्हें पोल्ट्री फार्म में अपनाया जाए तो खतरनाक बीमारी एवियन इन्फ्लूएंजा (बर्ड फ्लू) से पोल्ट्री बर्ड को बचाया जा सकता है. गौरतलब रहे फरवरी-मार्च के बाद ही माइग्रेट बर्ड का वापस लौटना शुरू होता है.
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सीएआरअई के डायरेक्टर अशोक कुमार तिवारी ने किसान तक को बताया कि ये वो वक्त है जब दूसरे देशों की माइग्रेट बर्ड हमारे देश में आ चुकी हैं या अभी भी आना जारी है. अगर हम गौर करें तो माइ्ग्रेट बर्ड तालाब, नदी और झील के आसपास के इलाके को अपना ठिकाना बनाती हैं. ऐसी जगहों पर पहले से मौजूद भारतीय बतख भी पानी में होती हैं. ये जल्द ही माइग्रेट बर्ड के संपर्क में आ जाती हैं. ऐसे में इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि माइग्रेट बर्ड की बीमारी भारतीय बतख में नहीं आएगी या बतख के जरिए वो बीमारी दूसरी जगहों पर नहीं फैलेगी. बर्ड फ्लू जैसी खतरनाक बीमारी को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता है. क्योंकि माइग्रेट बर्ड की जांच का कोई तरीका तो है नहीं, इसलिए माइग्रेट बर्ड में बर्ड फ्लू नहीं होगा इससे इंकार भी नहीं कर सकते हैं.
अशोक कुमार तिवारी ने बताया कि अगर अपने पोल्ट्री फार्म को बर्ड फ्लू समेत दूसरी बीमारियों से दूर रखना है तो फार्म तालाब, झील और नदी से दूर बनाएं. अगर आसपास कोई तालाब और झील है भी तो बतख आदि को फार्म के अंदर नहीं आने दें. फार्म के आसपास पेड़ ना लगाएं और अगर पहले से लगा है तो उसे हटा दें. क्योंकि बाहरी पक्षी पेड़ पर आकर बैठेगा और बीट भी करेगा. फार्म की छत पर भी बाहरी पक्षियों को बैठने ना दें. बर्ड फ्लू जैसी बीमारी पक्षियों की बीट से ही फैलती है. फार्म में बॉयोसिक्योरिटी के नियमों को सख्त कर दें.
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किसी भी बाहरी व्यक्ति को फार्म में ना आने दें. अगर बहुत ज्यादा जरूरी हो तो उस व्यक्ति के कपड़े, जूते और हाथों को सैनेटाइज करें. उसे पहनने के लिए किट दें. फार्म के अंदर आने वाली गाड़ी को भी सैनेटाइज करें. पोल्ट्री फार्म की जांच करने वाले कर्मचारी भी एक फार्म के बाद दूसरे फार्म में कम से कम तीन दिन बाद ही जाएं. अगर फार्म के किसी कर्मचारी के घर पर बैकयार्ड पोल्ट्री में मुर्गे-मुर्गियां हैं तो वो हर रोज पोल्ट्री फार्म से घर आने-जानें से बचे. पोल्ट्री फार्मर एक-दूसरे के उपकरण या दूसरी चीजें इस्तेमाल करने से भी बचें.