Success Story: सूरन की खेती ने किसान को मशहूर किया, दिलाए कई अवॉर्ड, उपज बढ़ाने के लिए अपनाया ये तरीका

Success Story: सूरन की खेती ने किसान को मशहूर किया, दिलाए कई अवॉर्ड, उपज बढ़ाने के लिए अपनाया ये तरीका

सूरन (ओल) की खेती ने हाजीपुर बिहार के किसान को मशहूर कर दिया और कई प्रतिष्ठित पुरस्कार भी दिलाए. सफल किसान ने बताया कि सही विधि से सूरन की खेती की जाए तो सात-आठ महीने में ही लागत का चार गुना मुनाफा कमाया जा सकता है.

सफल किसान शंकर चौधरीसफल किसान शंकर चौधरी
जेपी स‍िंह
  • नई दिल्ली,
  • Jun 27, 2024,
  • Updated Jun 27, 2024, 7:13 PM IST

सूरन (ओल) की खेती से अनगिनत फायदे हैं और यह आपकी बेकार पड़ी जमीन को भी उपयोगी बनाकर बेहतर कमाई का जरिया बना सकती है. हाजीपुर बिहार के प्रगतिशील किसान शंकर किशोर चौधरी 30 साल से ओल की खेती कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि इसकी खेती से सात-आठ महीने में ही लागत का चार गुना मुनाफा कमाया जा सकता है. उन्होंने ओल, कंद, आम, हल्दी तथा सतवार जैसी फसलों की खेती से आसपास के किसानों में नया जोश और उत्साह पैदा किया है. साथ ही उन्होंने ओल से विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाकर उद्यमी के रूप में अपनी पहचान बनाई है.

30 साल का अनुभव और लाखों की कमाई 

प्रगतिशील किसान शंकर चौधरी ने 1994 में हैदराबाद से 1700 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बीज लाकर ओल की खेती शुरू की. शुरुआती सफलता के बाद उन्होंने तीन एकड़ में खेती का विस्तार किया और कई अन्य किसानों को भी इसके लिए प्रेरित किया. वर्तमान में वे दस एकड़ में ओल की खेती कर रहे हैं. प्रति एकड़ लगभग 3.50 लाख रुपये की कमाई कर रहे हैं. प्रगतिशील किसान शंकर चौधरी बताते हैं कि 1990-91 में बिहार में कई प्लांटेशन कंपनियां कृषि क्षेत्र में संभावनाएं तलाश रही थीं. तभी हमारा भी ध्यान इस ओर गया. हमने औषधीय खेती पर एक पत्रिका का अध्ययन किया और एक अखबार में पढ़ा कि 2020 तक बारिश के पानी में चालीस फीसदी एसिड की मात्रा होगी, जिससे फल-फूल नष्ट हो सकते हैं. लेकिन, जमीन के अंदर के फल को नुकसान नहीं पहुंचेगा. इससे फल महंगे हो जाएंगे. इसी विचार से हमारे दिमाग में आया कि क्यों न ओल की ही खेती की जाए और बस हमने इसकी खेती शुरू कर दी.

शंकर चौधरी बन गये 'ओल चौधरी' 

शंकर चौधरी का कहना है कि एक एकड़ में 250 क्विंटल ओल का उत्पादन होता है, जिसमें से लागत काटकर प्रति एकड़ लगभग 3.50 लाख रुपये की कमाई होती है. उन्होंने ओल के कई व्यंजनों का भी आविष्कार किया है, जैसे ओल की बर्फी, चॉकलेट, रसगुल्ला, खीर, राबड़ी और जलेबी सहित 70 व्यंजनों की खोज की है. इसका स्टॉल लगाकर बेचते हैं और इससे भी कमाई करते हैं. अब शंकर चौधरी को 'ओल चौधरी' के नाम से जाना जाता है. इसके अलावा शंकर चौधरी अन्य कंद फसलों से आम अदरक, हल्दी, अदरक की भी खेती करते हैं. .

ओल चौधरी का सूरन की खेती

ओल के कई औषधीय गुण

प्रगतिशील किसान का कहना है कि ओल औषधीय गुणों से भरपूर होता है और पाइल्स, पेट संबंधी विकार, दमा, फेफड़े की सूजन, फाइलेरिया, पेचिश, रक्त विकार, वमन और बवासिर जैसी बीमारियों के लिए उपयोगी है. इसकी खेती बेहद कम पूंजी में होती है, जिसमें लाभ की संभावना अधिक होती है. ओल की खेती छोटे बगीचों में भी की जा सकती है और इसे अन्य फसलों के साथ इंटरक्रॉपिंग के रूप में भी उगाया जा सकता है.

फायदे वाली ओल की खेती 

शंकर चौधरी ने बताया कि ओल की खेती के लिए फरवरी और मार्च का महीना सबसे उपयुक्त होता है. रेतीली दोमट मिट्टी में इसकी खेती ज्यादा लाभदायक होती है. खेत की तैयारी के समय गोबर की खाद मिलाएं और 30 सेंटीमीटर गहरे, लंबे और चौड़े गड्ढों में ओल के कंदों को रोपाई करें. एक एकड़ में लगभग 4 हजार गड्ढे खोदने पड़ते हैं. 8 से 10 महीने में ओल के कंद 4 से 5 किलो वजन के हो जाते हैं और एक एकड़ में 200 क्विंटल तक उपज मिल सकती है, जिसे बाजार में 3 से 4 हजार रुपये प्रति क्विंटल की दर से बेचा जा सकता है.

ओल चौधरी को कमाई के साथ सम्मान 

शंकर चौधरी को उनकी उत्कृष्ट खेती और उत्पादों के लिए कई सम्मान मिले हैं. उन्हें भारतीय सब्जी अनुसंधान परिषद द्वारा राष्ट्रीय कांस्य पदक, कृषि विभाग भारत सरकार द्वारा उद्यान रत्न अवार्ड और साल 2013 में आईसीएआर द्वारा भी सम्मानित किया गया है. उनके व्यंजनों का आनंद बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार और पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव भी उठा चुके हैं.

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