वैश्विक चावल बाजार में मंदी का दौर जारी है, पिछले 3-4 सप्ताहों में कीमतों में लगभग कोई बदलाव नहीं हुआ है या मामूली बदलाव हुए हैं. ऐसे में इस मामले पर उद्योग सूत्रों का कहना है कि अफ्रीका और दक्षिण पूर्व एशिया में मांग में कमी आई है. इसलिए खरीदार और विक्रेता व्यापार में सावधानी बरत रहे हैं. नई दिल्ली के एक व्यापारी राजेश जैन पहाड़िया ने कहा, अफ्रीका, विशेष रूप से बेनिन में निकट भविष्य में सुधार या कीमतों में उछाल के बारे में कोई गलतफहमी नहीं होनी चाहिए. बेनिन ने पहली तिमाही में बड़ी मात्रा में खरीदारी की थी और उसके पास बहुत बड़ा स्टॉक है. उन्होंने बताया कि उनके एक अफ्रीकी मित्र का कहना है कि वह इंपोर्ट या अन्य देशों की तुलना में अफ्रीका में खरीदना और बेचना पसंद करेंगे.
फिलीपींस में चावल के 100 कंटेनर भेजने के बाद, एम मदन प्रकाश जो राजथि ग्रुप के डायरेक्टर हैं उन्होंने अनाज में ज्यादा कारोबार नहीं किया है. उन्होंने कहा, "फिलीपींस में मध्यावधि चुनावों ने खरीदारों को बचाव के स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया है. जैन ने कहा, मौजूदा संकेत इस बात की ओर इशारा करते हैं कि बाजार में अधिक आपूर्ति और कमजोर मांग के कारण मंदी का दबाव है. कीमतों में बढ़ोतरी का कोई रास्ता नहीं दिख रहा है. वहीं, मदन प्रकाश ने कहा कि हालांकि पाकिस्तान ने फिलीपींस के बाजार में भारतीय चावल की पेशकश की है, लेकिन नई दिल्ली ने बढ़त हासिल कर ली क्योंकि भारत ने 20 पैसे प्रति किलोग्राम की कीमत पर चावल बेचा है.
नई दिल्ली स्थित व्यापार विश्लेषक एस चंद्रशेखरन ने कहा कि मौजूदा हालात में बाजार की कमी का उदाहरण है. वर्तमान में, 5 प्रतिशत टूटे हुए सफेद चावल की कीमतों में अधिकतम 3 डॉलर प्रति टन की वृद्धि हुई है. भारत इसे 382 डॉलर और वियतनाम 397 डॉलर पर बेच रहा है. थाईलैंड ने अपनी कीमतों में 3 डॉलर की कटौती कर इसे 403 डॉलर कर दिया है और पाकिस्तान की कीमतें 388 डॉलर पर स्थिर हैं.
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भारत द्वारा शिपमेंट पर लगाए गए प्रतिबंधों के बाद 2023-24 में तेजी से बढ़ने के बाद, चावल की कीमतें अब दो साल के निचले स्तर के करीब पहुंच गए हैं. भारत ने अक्टूबर 2024 में चावल के निर्यात पर लगे सभी प्रतिबंध हटा लिए थे, क्योंकि उसके भंडार अनाज से भर गए थे. एकमात्र प्रतिबंध जो बचा था, वह 100 प्रतिशत टूटे हुए चावल पर प्रतिबंध था, जिसे इस साल 7 मार्च को हटा दिया गया था. 15 मई तक, भारत के पास 38.19 मिलियन टन (एमटी) चावल है, जो 13.54 एमटी के अनिवार्य बफर मानदंड से अधिक है. इसके पास बिना पिसे हुए धान भी है, जिससे 21.36 मिलियन टन चावल मिल सकता है.
खाद्य और कृषि संगठन, अमेरिकी कृषि विभाग और अंतरराष्ट्रीय अनाज परिषद जैसी एजेंसियों का अनुमान है कि 2024-25 के मौसम में चावल का वैश्विक उत्पादन 535 लाख टन से अधिक होगा, जो 2023-24 से 10 मीट्रिक टन अधिक है. इसके अलावा 2025-26 के मौसम के लिए कैरी ओवर स्टॉक में कम से कम 6 मीट्रिक टन की वृद्धि हो सकती है. जैन ने कहा कि निर्यातकों के लिए अफ्रीकी बाजारों पर नज़र रखने के बजाय अभी कम प्रोफ़ाइल रखना अच्छा होगा. अधिक आपूर्ति की स्थिति संभवतः अगले कुछ वर्षों तक बनी रहेगी.
किसी भी सुधार के होने में महीनों लग सकते हैं. उन्होंने कहा कि खरीदार भी प्रभावित हो सकते हैं ,क्योंकि उनके पास पर्याप्त स्टॉक है और वे इसे बेचने का तरीका तलाश रहे हैं. तीन सप्ताह पहले, द एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष बीवी कृष्ण राव ने 'बिजनेस लाइन' को बताया कि कीमतों और शिपिंग में उतार-चढ़ाव केवल कुछ देशों में तीसरी तिमाही में होने की संभावना है क्योंकि स्टॉक में गिरावट आई है. इसके अलावा व्यापारियों ने कहा कि एशियाई देशों में चावल की कटाई जून तक पूरी हो जाएगी और नई फसल सितंबर के आसपास ही आने की संभावना है, इसलिए कीमतों में कुछ तेजी देखने को मिल सकती है. हालांकि, जैन ने कहा कि कीमत में उतार-चढ़ाव से बाजार में अस्थिरता आ सकती है.