राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार 10 फरवरी को बजट पेश करने वाली है, जो इस कार्यकाल का आखिरी बजट है. पिछले साल बजट में कृषि बजट अलग से जारी कर गहलोत सरकार ने देशभर में सुर्खियां बटोरी थी. वहीं इस बजट को चुनावी बजट माना जा रहा है. ऐसे में संभावनाएं लग रही हैं कि गहलोत सरकार का ये बजट खेती-किसानी के नजरिए से भी फी खास होगा. राजस्थान बजट 2022-23 के कृषि बजट की थीम समृद्ध किसान-खुशहाल राजस्थान है. लेकिन, सवाल यह है कि क्या सच में राजस्थान का किसान समृद्ध है? आंकड़ों को देखकर ऐसा बिलकुल नहीं लगता. राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में दिए गए आंकड़े राज्य के किसानों को लेकर अलग ही तस्वीर पेश करती है, जिसमें राजस्थान का किसान कर्जदार है.
दिसंबर 2022 में राज्यसभा में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय से सांसद संजय सिंह ने किसानों पर कर्ज, किसानों और दिहाड़ी मजदूरों की मासिक आय से संबंध में एक सवाल पूछा गया. इस सवाल के जवाब में केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने जवाब दिया. राज्यसभा में पेश किए इस जवाब में बताया गया कि राजस्थान के प्रत्येक किसान परिवार पर औसत 1,13,865 रुपए का कर्ज है.
वहीं, देश के प्रत्येक किसान परिवार पर 74,121 रुपए का कर्ज है.राजस्थान का प्रति किसान परिवार कर्ज के मामले में देश में सातवां स्थान है. देश में किसान परिवारों पर सबसे अधिक कर्ज आंध्रप्रदेश का है. जहां प्रत्येक किसान परिवार पर 2,45,554 रुपए कर्ज है. इसके बाद केरल 2,42,482 प्रति किसान परिवार कर्ज के साथ दूसरे और पंजाब में एक किसान परिवार पर 2,03,249 रुपए का कर्ज है.
देश में किसान परिवारों पर कर्ज के मामले में पूर्वोत्तर राज्यों की स्थिति अच्छी है. भारत में सबसे कम कर्ज नागालैंड के किसान परिवारों पर है. यहां प्रति किसान परिवार 1750 रुपए का कर्ज है. वहीं, अरुणाचल प्रदेश 3581, असम 16,407, मणिपुर 5551, मेघालय 2237, सिक्किम 32,185 और त्रिपुरा 23,944 रुपए है.
राज्यसभा में पेश हुए इन आंकड़ों में देशभर के किसान परिवारों की मासिक आय के बारे में भी बताया गया है. राजस्थान के किसान परिवार की मासिक आय औसत 12,520 रुपए है. देश के प्रति किसान परिवार की मासिक आय औसत 10,218 रुपए ही है.
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वहीं, अन्य राज्यों की बात की जाए तो मेघालय के किसानों की औसत मासिक आय देश में सबसे अधिक (29,348) रुपए है. झारखंड के किसानों की मासिक औसत आय देश में सबसे कम (4895) रुपए है.
साल 2018 में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने किसानों की कर्जमाफी का वायदा किया था. खुद राहुल गांधी ने कहा था कि उनके एक से 10 तक गिनती गिनने तक राजस्थान के किसानों का कर्जा माफ हो जाएगा. किसान तक ने प्रदेश के किसानों की कर्जमाफी की हकीकत जानी. मिले आंकड़ों के मुताबिक राजस्थान सरकार ने साल 2019 में किसानों की कर्जमाफी की.
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2019 में राज्य में 24.26 लाख किसानों ने ऋण माफी के लिए आधार आधारित आवेदन किया. सरकार ने इनका 8689 करोड़ रुपए का कर्जा माफ किया. हालांकि यह कर्जमाफी कॉपरेटिव बैंकों से लिए ऋण की गई थी. राष्ट्रीय बैंकों से लिए गए लोन को माफ करने को लेकर कोई योजना नहीं है.
वहीं, राष्ट्रीय स्तर पर किसानों की कर्जमाफी 15 साल पहले 2008-09 में की गई थी. तब से अब तक राष्ट्रीय स्तर पर किसानों की कर्जमाफी की कोई योजना नहीं बन सकी है.
राजस्थान सरकार पिछले साल से अलग से कृषि बजट पेश करती है. इस बार किसानों को बजट से काफी उम्मीद है क्योंकि यह गहलोत सरकार के इस कार्यकाल का आखिरी बजट है. किसानतक के सूत्रों के अनुसार किसानों की आय बढ़ाने और उन्हें सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाने के लिए सरकार किसानों को पेंशन शुरू की जा सकती है. यह 750-1000 रुपए प्रति माह तक हो सकती है.
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