पोल्ट्री सेक्टर ने 2022 में किया शानदार प्रदर्शन, मांग में बढ़ोतरी को बताया गया वजह 

पोल्ट्री सेक्टर ने 2022 में किया शानदार प्रदर्शन, मांग में बढ़ोतरी को बताया गया वजह 

पोल्ट्री सेक्टर में पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष शानदार बढ़ोतरी हुई है. वहीं, सोयाबीन और सोयामील की कीमतों में कमी आई है. साथ ही चिकन में मामूली तेजी से मांग में वृद्धि हुई है.

मुर्गी पालन मुर्गी पालन
क‍िसान तक
  • Noida ,
  • Dec 23, 2022,
  • Updated Dec 23, 2022, 6:51 PM IST

पोल्ट्री सेक्टर में पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष शानदार बढ़ोतरी हुई है. वहीं, सोयाबीन और सोयामील की कीमतों में कमी आई है. साथ ही चिकन में मामूली तेजी से मांग में वृद्धि हुई है. हालांकि, साल 2023 में मक्के के कीमतों में बढ़ोतरी को देखते हुए पोल्ट्री सेक्टर में बढ़ोतरी की संभावना है.

सुगुना समूह के अध्यक्ष बी साउंडराजन के अनुसार, साल 2022 पूरी तरह से पोल्ट्री सेक्टर के लिए अनुकूल था. हमने देखा कि उपभोक्ताओं की खपत का पैटर्न धीरे-धीरे खाद्य सुरक्षा से पोषण सुरक्षा की ओर स्थानांतरित हो गया है और प्रोटीन की खपत के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ी है. इस साल चिकन, मछली और मटन के साथ प्रोटीन के लिए उपभोक्ताओं के बीच मांस  पसंदीदा विकल्प बना रहा, जिस वजह से कृषि-खाद्य उद्योग (Agri-Food Industry) में अच्छी वृद्धि हुई है. 

महामारी का प्रभाव

भारत में पोल्ट्री उद्योग हर साल लगभग 600 बिलियन अंडे और 6 मिलियन टन चिकन मांस का उत्पादन और खपत करता है. पिछले कुछ वर्षों में, पोल्ट्री सेक्टर को कोविड महामारी, बर्ड फ्लू के प्रकोप और फीड लागत में बढ़ोतरी की वजह से विपरीत परिस्थियों का सामना करना पड़ा था.

एमएए इंटीग्रेटर्स के केएस अशोक कुमार के अनुसार, सोयामील की कीमतों में कमी के कारण पिछले वर्ष की तुलना में 2022 के दौरान समग्र इनपुट लागत में कमी आई है. वही पिछले साल की तुलना में इस साल खपत में अच्छी वृद्धि हुई है. 

सुगुना के साउंडराजन ने कहा कि प्रति व्यक्ति आय में बढ़ोतरी का सभी क्षेत्रों में मांस की खरीद में बढ़ोतरी पर बड़ा प्रभाव रहा है. होटल, रेस्तरां और कैफेटेरिया खुल गए हैं, जिससे मांस उत्पादों की मांग बढ़ गई है. वहीं, हम 2023 तक पोल्ट्री उद्योग में महत्वपूर्ण सफलताओं के साथ-साथ भारत में प्रसंस्कृत मांस की बढ़ती खपत और अनुकूलता की उम्मीद कर रहे हैं.

मक्का की कीमतें

कर्नाटक पोल्ट्री फार्म ब्रीडर एसोसिएशन के अध्यक्ष सुशांत राय ने कहा कि खपत तो अच्छी है, लेकिन बाजार उत्पादकों के पक्ष में नहीं है. राय ने कहा कि कच्चे माल की बढ़ती लागत, खासकर मक्का की कीमतें अगले साल चिंता का विषय होंगी. जबकि मक्का की फसल अच्छी थी, दावणगेरे और शिमोगा जैसे क्षेत्रों में बारिश ने उत्पादन को प्रभावित किया है, जिसके परिणामस्वरूप कीमतों में वृद्धि हुई है. उन्होंने कहा कि ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा चलाए जा रहे विज्ञापन अभियानों से पोल्ट्री उत्पादकों को अप्रत्यक्ष रूप से फायदा मिला है.

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