Punjab: पिंक बॉलवर्म ने जल्दी बोई गई कपास की 15 प्रतिशत फसल को पहुंचाया नुकसान, जानें कैसे बचाएं?

Punjab: पिंक बॉलवर्म ने जल्दी बोई गई कपास की 15 प्रतिशत फसल को पहुंचाया नुकसान, जानें कैसे बचाएं?

Pink Bollworm Damaged Cotton Crop: एक सर्वे से पता चला है कि पिंक बॉलवर्म कीट ने पंजाब में 60 से 80 दिन जल्दी बोई गई कपास की फसल को 15 प्रतिशत तक नुकसान पहुंचाया है. हालांकि, सामान्य रूप से बोए जाने वाले अधिकांश क्षेत्र कीटों से प्रभावित नहीं हुए हैं.

पिंक बॉलवर्म ने पंजाब में जल्दी बोई गई कपास की 15 प्रतिशत फसल को पहुंचाया नुकसान, सांकेतिक तस्वीर पिंक बॉलवर्म ने पंजाब में जल्दी बोई गई कपास की 15 प्रतिशत फसल को पहुंचाया नुकसान, सांकेतिक तस्वीर
व‍िवेक कुमार राय
  • Ludhiana,
  • Jul 02, 2023,
  • Updated Jul 02, 2023, 9:16 AM IST

अकसर जून-जुलाई के दौरान कपास में पिंक बॉलवर्म कीट लग जाते हैं. ये कीट कपास की अगेती फसल में फूल निकलते समय हमला करते हैं और फसल को बर्बाद कर देते हैं. हालांकि, कपास की फसल में फूलों की उपज नहीं होती, लेकिन इन फूलों पर बैठकर ही पिंक बॉलवर्म कीट अंडे देती है. 60 दिनों के अंदर धीरे-धीरे इन अंडों से कीड़े निकलते हैं, और पूरी फसल की क्वालिटी को खराब कर देते हैं. इस कीट से छुटकारा पाने के लिए समय रहते नियंत्रण करना बेहद जरूरी होता है, जिससे फसल को नुकसान नहीं पहुंचे. मालूम हो कि एक सर्वे से पता चला है कि पिंक बॉलवर्म कीट ने पंजाब में 60 से 80 दिन जल्दी बोई गई कपास की फसल को 15 प्रतिशत तक नुकसान पहुंचाया है. हालांकि, सामान्य रूप से बोए जाने वाले अधिकांश क्षेत्र कीटों से प्रभावित नहीं हुए हैं और पंजाब राज्य के विभिन्न हिस्सों में सफेद मक्खी, जैसिड, थ्रिप्स और मिलीबग जैसे रस चूसने वाले कीटों द्वारा फसल पर हमला करने की घटनाएं नहीं के बराबर हुई हैं. 

दरअसल, यह सर्वे गुरुवार को पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) द्वारा आयोजित किया गया था. पंजाब के कपास के खेतों को पिंक बॉलवर्म कीट से बचाने के लिए, पीएयू के कुलपति (वीसी) डॉ. सतबीर सिंह गोसल ने मालवा क्षेत्र में कपास बेल्ट के लिए एक सर्वे टीम का नेतृत्व किया. इस सर्वे टीम में पीएयू के अनुसंधान निदेशक, डॉ. अजमेर सिंह धट्ट, कृषि विज्ञान केंद्र और अनुसंधान स्टेशन के वैज्ञानिक - डॉ. परमजीत सिंह, डॉ. विजय कुमार, डॉ. राजिंदर कौर, डॉ. केएस सेखों, डॉ. अमरजीत सिंह और वीसी डॉ. जसजिंदर कौर आदि शामिल थे. 

पिंक बॉलवर्म कीट का मंडरा रहा खतरा 

मानसा जिले के खियाली चेहलांवाली, साहनेवाली, बुर्ज भलाइक, झेरियनवाली और तंदियां गांवों, और बठिंडा जिले के तलवंडी साबो, बेहमन कौर सिंह, मलकाना, सिंगो और कौर सिंह वाला गांवों के कपास के खेतों में जाकर डॉ. गोसल ने पिंक बॉलवर्म के मौजूदा खतरे पर चिंता व्यक्त की.

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उन्होंने कहा कि, उत्तर भारत में कपास की फसल में पनपने वाला यह खतरनाक कीट क्षेत्र के किसानों के लिए एक बड़ा खतरा है. इसके अलावा इस दौरान किसानों को संबोधित करते हुए उन्होंने पिंक बॉलवर्म दिखने पर सतर्कता और तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता पर भी जोर दिया. 

पीएयू की किसानों से अपील 

वहीं प्रभावी प्रबंधन रणनीतियों के बारे में विस्तार से बताते हुए, डॉ. विजय कुमार ने पिंक बॉलवर्म के लक्षणों के लिए फूलों और कपास के बीजकोषों का निरीक्षण करने के महत्व पर जोर दिया. इस महत्वपूर्ण कार्य को पूरा करने के लिए, उन्होंने किसानों को रोसेट फूलों पर विशेष ध्यान देते हुए, खेत के अलग-अलग हिस्से से कम से कम 100 फूलों की जांच करने की सलाह दी.

कपास की फसल को पिंक बॉलवर्म कीट से कैसे बचाएं?

यदि पिंक बॉलवर्म की उपस्थिति का पता चला है, तो फसल पर 100 ग्राम इमामेक्टिन बेंजोएट 5एसजी (प्रोक्लेम), 500 मिलीलीटर प्रोफेनोफॉस 50ईसी (क्यूराक्रोन), 200 मिलीलीटर इंडोक्साकार्ब 14.5एससी (अवांट) या 250 ग्राम थायोडाइकार्ब 75डब्ल्यूपी (लार्विन) इन्फेक्शन से निपटने के लिए प्रति एकड़ का छिड़काव करें.

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वीसी ने कहा, "पीएयू द्वारा पिंक बॉलवर्म के हमले से निपटने के लिए सक्रिय कदम उठाने के साथ, कपास की खेती करने वाले किसानों को सतर्क रहने और अपनी मूल्यवान फसलों की सुरक्षा के लिए अनुशंसित रणनीतियों को तुरंत लागू करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है."

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