हिमाचल प्रदेश में इस साल सेब की पैदावार 50 परसेंट तक गिर सकती है. सरकारी अनुमान के मुताबिक, हिमाचल में सेब का उत्पादन डेड़ से दो करोड़ बॉक्स तक हो सकता है जबकि पिछले साल यह 3.36 करोड़ बॉक्स था. ऐसे में मौजूदा साल में सेब का उत्पादन आधा तक घटने की आशंका है. उत्पादन घटने से दाम में तेज बढ़ोतरी दिखने की संभावना है. सप्लाई गिरने की स्थिति में दाम बढ़ने की संभावना अधिक देखी जाती है. आने वाले समय में ऐसे ही हालात बनते दिख रहे हैं.
साल 2010 में हिमाचल प्रदेश में सेब का उत्पादन सबसे अधिक हुआ था. उसके बाद से हर साल इसमें गिरावट देखी जा रही है. 2010 में चार करोड़ बॉक्स का उत्पादन हुआ था जबकि उसके बाद तीन बार दो करोड़ बॉक्स से नीचे उत्पादन दर्ज किया गया है. 2022, 2012 और 2018 में प्रदेश में दो करोड़ बॉक्स से भी कम सेब का उत्पादन हुआ है.
“इस वर्ष सेब बढ़ने के अलग-अलग चरणों में मौसम अनुकूल नहीं रहा है. हमारे अनुमान के अनुसार, उत्पादन लगभग दो करोड़ बक्से होने की संभावना है,” बागवानी सचिव अमिताभ अवस्थी ने यह बात 'दि ट्रिब्यून' से यह बात कही.
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सेब के उत्पादन अनुमान में भारी गिरावट यह दिखाती है कि इस साल मौसम कितना खराब रहा है. इससे यह भी पता चलता है कि फलों की खेती जलवायु पर भारी निर्भरता रखती है. इस पूरे मामले में संयुक्त किसान मंच के संयोजक हरीश चौहान कहते हैं, “मौसम बहुत अस्थिर हो गया है. पर्यावरण विज्ञान विभाग और सरकार को मौसम के बदलते मिजाज और सेब पर इसके प्रभाव का अध्ययन करने की जरूरत है.
भले ही सेब की खेती का क्षेत्रफल लगातार बढ़ रहा है और इसका आंकड़ा 2010 में 1,01,485 हेक्टेयर से बढ़कर 2020 में 1,14,646 हेक्टेयर दर्ज किया गया, लेकिन हिमाचल प्रदेस पिछले 13 वर्षों में अपने 2010 के उत्पादन की बराबरी नहीं कर पाया है. पिछले चार साल में उत्पादन लगभग तीन करोड़ बक्सों पर रुक गया है, लेकिन इस साल इसमें भारी गिरावट देखने को मिल सकती है.
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संयुक्त किसान मंच के संयोजक हरीश चौहान कहते हैं, देश में प्रति हेक्टेयर 7-8 मीट्रिक टन सेब का उत्पादन होता है जबकि न्यूजीलैंड जैसे अग्रणी बागवानी देश इस उत्पादन को 70 मीट्रिक टन तक ले जाने का प्रयास कर रहे हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि हिमाचल प्रदेश में तब तक सेब का उत्पादन नहीं बढ़ेगा जब तक अधिक से अधिक और सघनता के साथ पौधे न लगाए जाएं.
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