भारत और पाकिस्तान दोनों लगभग एक ही दिन आजाद हुए थे. लेकिन आज पाकिस्तान के आर्थिक स्थिति की बात करें तो वह पूरी तरह से अस्थिर है. पाकिस्तान में मंदी का दौर छाया है. कृषि प्रधान देशों में गिने जाने वाले पाकिस्तान की खाद्यान्न आपूर्ति की दिशा में भी हालत नाजुक है. पाक में लगभग सभी दैनिक जीवन के उपयोग की चीजें महंगी हो गई हैं, जिसमें आटा प्रमुख है. आलम ये है कि पाकिस्तान में आटे और ढाबे की रोटियों की कीमत आसमान छूने लगी है. मसलन, पाकिस्तान में आटा 160 रुपये (पाकिस्तानी रुपया) किलो बिक रहा है. आइये जानते हैं कि इसके पीछे का कारण क्या है और पाकिस्तान में गेहूं के उत्पादन में पाकिस्तान के हालात क्या हैं.
पाकिस्तान में खाने पीने की चीजों के साथ अन्य दैनिक जरूरतों में भी कमरतोड़ महंगाई देखी जा रही है. इसमें से आटे और रोटियों की कीमत में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है. पाकिस्तान में आटा 160 रुपये किलो बेचा जा रहा है तो वहीं 1 रोटी की कीमत 25-30 रुपये तक है. असल में पाकिस्तान में आटे के साथ साथ दुकान का किराया और गैस और बिजली का बिल भी काफी महंगा है, जिसके कारण 1 रोटी की कीमत 25 रुपये करने के बाद भी ढ़ाबा संचालको को घर खर्च चलाने में काफी समस्या आ रही है. इसलिए रोटी की कीमत को और अधिक बढ़ी है.
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पाकिस्तान में आटे के दाम में हुई इस बढ़ोतरी की मुख्य वजह गेहूं की पैदावार में आई कमी है. असल में में बीते वर्ष बारिश की कमी और तेल की कीमतों में वृद्धि के कारण लोगों ने पंप से सिंचाई नहीं की. जिसके कारण गेहूं की बुआई का रकबा घटा. इसके अलावा मार्च में गेहूं के समर्थन मूल्य की घोषणा देर से होने के कारण किसानों की ओर से गेहूं की बुवाई में दो फीसदी की कमी आई है. समय से पहले गर्मी बढ़ने से भी गेहूं की पैदावार भी प्रभावित हुई है. जिसके कारण पर्याप्त आपूर्ति नहीं हो सकी और कीमत में बढ़ोतरी हुई.
वर्ष की शुरुआत में पाकिस्तान में कुल गेहूं की पैदावार 2 करोड़ 29 लाख मीट्रिक टन होने का लक्ष्य था. जबकि संभावित उत्पादन दो करोड़ 26 लाख मीट्रिक टन तक होने का अनुमान था. पाकिस्तान में 1 व्यक्ति औसतन 124 किलो आटा प्रतिवर्ष उपयोग करता है. उस हिसाब से सालाना राष्ट्रीय स्तर पर सामूहिक खपत का अनुमान तीन करोड़ मीट्रिक टन के आसपास है. पाक में गेहूं की पैदावार अनुमान से कम होने के कारण गेहूं का आयात दूसरे देशों से करने को मजबूर है. केन्द्रीय कैबिनेट ने देश में 30 लाख टन गेहूं के आयात को मंज़ूरी दी है.
पाकिस्तान में पिछले कुछ सालों से लगातार सरकारों के बीच उथल - पुथल मची है. स्थिर सरकार न होने का असर जनता पर पड़ रहा है. ऑल पाकिस्तान फ़्लावर मिल्स एसोसिएशन के चेयरमैन आसिफ़ रज़ा ने बीबीसी को बताया कि सरकार की ओर से मिलों को जितना गेहूं मिलना चाहिए उतना नहीं मिल रहा है. बलूचिस्तान गेहूं नहीं दे रहा है. साथ ही सिंध लगभग 50 लाख टन कम गेहूं दे रहा है. सिंध को पौने तीन लाख टन प्रति माह गेहूं की आपूर्ति करनी चाहिए. लेकिन, वे केवल सवा दो लाख टन ही गेहूं की आपूर्ति कर रहे हैं. इसके अलावा पंजाब 30 हज़ार टन गेहूं जारी किया जाता रहा है. आज साढ़े इक्कीस हज़ार टन जारी. इसका सीधा असर ओपन मार्केट में पड़ रहा है जिसके पास गेहूं है वो मनमानी भाव में बेच रहा है.
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