गेंदे की खेती ने बदली छोटे किसानों की तकदीर, 70 हजार रुपये एकड़ मिल रहा है लाभ

गेंदे की खेती ने बदली छोटे किसानों की तकदीर, 70 हजार रुपये एकड़ मिल रहा है लाभ

जो किसान पहले कपास और मिलेट की खेती से महज 20,000-25,000 रुपये प्रति एकड़ कमा पाते थे, अब वो किसान गेंदा की खेती से लगभग 70,000 रुपये प्रति एकड़ कमा रहे हैं.

गेंदे की खेती ने बदली छोटे किसानों की तकदीर, फोटो साभार: Freepikगेंदे की खेती ने बदली छोटे किसानों की तकदीर, फोटो साभार: Freepik
क‍िसान तक
  • Noida ,
  • Feb 11, 2023,
  • Updated Feb 11, 2023, 11:36 AM IST

केंद्र सरकार के राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन कार्यक्रम की मदद से, झारखंड और ओडिशा के आदिवासी क्षेत्रों में कुछ किसानों ने अपनी आय में वृद्धि करना शुरू कर दिया है. पहले यहां के किसान बहुत कम गेंदे की खेती करते थे, लेकिन गेंदे की खेती को लेकर जागरूकता अभियान और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा मदद के कारण उन्हें गैर-पारंपरिक फसलों में व्यवसाय करने में मदद मिली है. जो किसान पहले कपास और मिलेट की खेती से महज 20,000-25,000 रुपये प्रति एकड़ कमा पाते थे, अब वो किसान गेंदा की खेती से लगभग 70,000 रुपये प्रति एकड़ कमा रहे हैं.

एकड़ जमीन में 50 हजार रुपये की आमदनी

दरअसल, बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के अनुसार, ओडिशा के रायगड़ा जिले की एक किसान मामी पेडेंटी पिछले तीन सालों से गेंदे की खेती कर रही हैं. उनके अनुसार, “गेंदे की खेती बहुत लाभकारी है, क्योंकि इस सीजन में मुझे आधा एकड़ जमीन में 50 हजार रुपये की आमदनी हुई है, जबकि अन्य फसलों की खेती से इतनी आमदनी नहीं होती है. वहीं जगत ज्योति बारिक, कोऑर्डिनेटर ऑफ एनजीओ प्रदान जयकेपुर ओडिशा के अनुसार, पडेंटी जिले के उन 290 छोटे किसानों में से एक हैं, जो अपनी जमीन के एक हिस्से पर गेंदे की खेती करती हैं.

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आमदनी कम होने के बावजूद पेडेंटी बाकी दो एकड़ में मंडिया (बाजरे की एक किस्म), कपास, धान जैसी अन्य फसलों की खेती करती हैं. गेंदे की खेती के लिए पूरी जमीन का उपयोग क्यों नहीं करती हैं, तो यह समझाते हुए उन्होंने कहा, "अगर गेंदे की खेती के साथ कुछ गलत हो जाता है, तो हम क्या खाएंगे।" उन्होंने कहा कि चूंकि वह दीवाली तक सभी गेंदे के फूलों की कटाई हो जाती है. इसके बाद उन्होंने सूरजमुखी की खेती की है. वहीं इसके  खरीदार भुवनेश्वर से आ रहे हैं.

124 एकड़ में में गेंदे की खेती 

जगत ज्योति बारिक, कोऑर्डिनेटर ऑफ एनजीओ प्रदान ने कहा कि 30 से कम किसानों द्वारा 5 एकड़ के मुकाबले अब 124 एकड़ में गेंदा उगाया जा रहा है, जब प्रदान एनजीओ ने रायगड़ा के कोलनारा ब्लॉक में 2020 में प्रोजेक्ट शुरू की थी तब बहुत रिक्वेस्ट करने के बाद कुछ किसान अपने जमीन के कुछ हिस्से में गेंदे की खेती करने के लिए तैयार हुए थे, क्योंकि वे फूलों की मंडीकरण को लेकर असमंजस में थे. हालांकि, हमने पहले साल आंध्र प्रदेश के पड़ोसी आनंदपुरम में फूलों को बेचने की व्यवस्था की, लेकिन अब बाजार विकसित हो गया है और किसान 35 रुपये किलो बेच रहे हैं. 

गेंदा की खेती से 70 हजार रुपये की आमदनी

जगत ज्योति बारिक के अनुसार जो किसान पहले कपास और मिलेट की खेती से महज 20,000-25,000 रुपये प्रति एकड़ कमा पाते थे, अब वो किसान गेंदा की खेती से लगभग 70,000 रुपये प्रति एकड़ कमा रहे हैं.

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गेंदे की खेती के लिए बंजर भूमि का उपयोग

प्रदान एनजीओ की बाला देवी निंगथौजम जोकि झारखंड में पिछले एक दशक से काम कर रही हैं उनके अनुसार, झारखंड के 3-4 जिलों के किसान गेंदा फूल की माला बेचकर 12 रुपये प्रति पीस ले रहे हैं. एक एकड़ के दसवें हिस्से की भूमि से, 1,000 गेंदे की माला का उत्पादन किया जा सकता है, जबकि इसकी खेती की लागत लगभग 3 हजार रुपये आती है, क्योंकि पौधे पश्चिम बंगाल से लाए जाते हैं. बाला देवी ने कहा, "ज्यादातर ये छोटे किसान गेंदे की खेती के लिए बंजर भूमि का उपयोग कर रहे हैं और वे धान से पूरी तरह से मुख्य क्षेत्र में ट्रांसफर नहीं होना चाहते हैं, क्योंकि वे खरीफ अनाज उगाते हैं."

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